सुप्रीम कोर्ट में जज एएम सप्रे और यूयू ललित की कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि नियोजित शिक्षकों को समान वेतन देने के लिए राशि बढ़ाने पर सहमत नहीं है। अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा- शिक्षकों की नियुक्ति और वेतन देना राज्य सरकार का काम है। इसमें केंद्र की कोई भूमिका नहीं है।सर्व शिक्षा अभियान के तहत केंद्र सरकार राज्यों को केंद्रांश उपलब्ध कराती है। केंद्र इस राशि के अलावा वेतन के लिए राशि नहीं दे सकती है। राज्य सरकार चाहे तो अपने संसाधन से समान काम के बदले समान वेतन दे सकती है। प्रत्येक राज्य अपने संसाधन से ही समान काम समान वेतन दे रही है। 3.70 लाख नियोजित शिक्षकों को समान काम समान वेतन मामले में गुरुवार को 19 वें दिन भी सुनवाई अधूरी रही। अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी।
केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल ने नियोजित शिक्षकों पर सवाल उठाते हुए कहा कि कई शिक्षक जो काफी दिनों से सुप्रीम कोर्ट में जमे हैं, उनका बच्चों की पढ़ाई और शिक्षा में क्या योगदान है? सर्व शिक्षा अभियान मद की राशि राज्यों की जनसंख्या और शैक्षणिक पिछड़ेपन के आधार पर दी जाती है, न कि वेतन में बढ़ोतरी के लिए। 11 सितंबर को फिर अटार्नी जनरल कोर्ट में अपनी बात रखेंगे। इसके पहले अटार्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट के सवाल का बिंदुवार जवाब दिया।
शिक्षक संघ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसरिया ने कहा कि पटना हाईकोर्ट ने समान काम समान वेतन के पक्ष में सही फैसला दिया है। सरकार फैसले को लागू नहीं कर बेवजह नियोजित शिक्षकों को परेशान कर रही है। शिक्षक संघ की ओर से कोर्ट में तर्क दिया जा रहा है कि समान काम के लिए समान वेतन नियोजित शिक्षकों का मौलिक अधिकार है। केंद्र ने पिछले दिन तर्क दिया था कि नियमित शिक्षकों की बहाली बीपीएससी के माध्यम से हुई है। नियोजित शिक्षकों की बहाली पंचायती राज संस्था से ठेके पर हुई है। इसलिए इन्हें समान वेतन नहीं दिया जा सकता है।