समाज सुधार की बात करते तो अक्सर लोगों को सुना जाता है, लेकिन ऐसे बहुत ही कम लोग हैं जो बोलने की बजाये कुछ करने में यकीन करते हैं। जगदीशपुर के 55 साल से विदेश में रह रहे 82 वर्षीय रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. सरस्वती प्रसाद सिंह भी कुछ ऐसा कर रहे हैं जिसे जानने के बाद आप भी उन्हें सलाम किये बिना नहीं रहेंगे।
60-65 वर्ष की उम्र में जहाँ लोग रिटायरमेंट लेकर फॉर्म हाउस पर ज़िन्दगी बिताना पसंद करते हैं, इनसबसे अलग 82 वर्ष के डॉ. सरस्वती प्रसाद सिंह अपने गांव की बेटियों को पढ़ाने-बढ़ाने के प्रयास में जुटे हैं। अपने गाओं की लड़कियों को वर्ल्ड क्लास की फ्री एजुकेशन दे रहे हैं।
जगदीशपुर के दलीपपुर में कनाडा में रहने वाले बिहार के डॉ. सिंह ने एक ऐसे स्कूल, ‘शक्ति प्रसाद सिंह गर्ल्स हाई स्कूल’ की स्थापना की है जहां लड़कियों को सभ्य, शिक्षित समाज तैयार करने लायक बनाया जाता है। यहां गांव और आस-पास की 500 लड़कियां पढ़ती हैं। स्कूल की ख़ास बात यह है की यहाँ की पढ़ाई बेसिक स्तर की नहीं बल्कि इस स्कूल में फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायोलॉजी के प्रयोगशाला के साथ 50 लैपटॉप और कम्प्यूटर वाला वाईफाई इनेबल्ड लैब भी है।
1985 में शुरू हुए इस स्कूल में पांचवीं तक के विद्यार्थियों के लिए एक वक्त का खाना मुफ्त है जिसके लिए डॉ. सिंह सरकार से कोई मदद नहीं लेते और लड़कियों की पढाई के लिए कोई फीस भी नहीं देना होता है।
जब डॉ. सिंह कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ अलबर्टा में प्रोफेसर थे, तभी उन्होंने अपने गांव में इस स्कूल की शुरुआत की थी। डॉ. सिंह ने बताते हैं कि अपने गांव से निकलकर उन्होंने इलाहाबाद से उच्च शिक्षा करने के बार बाद में एमबीए और पीएचडी के लिए अमेरिका चले गए। जब वो कनाडा में काम कर रहे थे तब उन्हें अपने देश की उन बेटियों के लिए एक ऐसा स्कूल शुरू करने की इच्छा जगी, जो उन्हें बेहतर जीवन दे। हालाँकि ये काम मुश्किल था क्योंकि बिहार में गांवों तक ऐसी सुविधा न उन दिनों और न आज है।
छोटे स्तर पर स्कूल खोलकर उन्होंने इसकी शुरुआत जो धीरे-धीरे हायर सेकेंडरी स्तर तक पहुंचा। लड़कियों को शिक्षित करने के प्रयास में जुटे डॉ. सरस्वती प्रसाद सिंह रोज दो घंटे कोर टीम से स्काइप पर अपडेट लेते हैं।
55 साल विदेश में नौकरी करने वाले सरस्वती प्रसाद सिंह अभी कनाडा में ही रहते हुए स्काइप पर हर दिन अपने स्कूल की कोर टीम से पढ़ाई से लेकर खाने की क्वालिटी तक पर बात करते हैं। प्रति वर्ष
एक या दो बार भारत आते हैं।
अब हायर सेकेंडरी के बाद डॉ. सिंह अपने स्कूल को कॉलेज में कन्वर्ट करना चाहते हैं और फिर बाद में एक वर्ल्ड क्लास वीमेन यूनिवर्सिटी बनान चाहते हैं।