बोधगया में अनागारिक धर्मपाल की मनाई गई 159वीं जयंती, श्रीलंकाई भिक्षु के भारत में भी बड़ी संख्या में अनुयायी

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अनागारिक धर्मपाल की 159वीं जयंती का मुख्य कार्यक्रम रविवार की सुबह शुरू हुआ। महाबोधि सोसाइटी से बौद्ध भिक्षु श्रीलंकाई परंपरा के अनुसार वाद्य यंत्र वादन के साथ विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर के लिए निकले सभी महाबोधि मंदिर के गर्भ गृह में पूजा-अर्चना कर पवित्र बोधि वृक्ष की छांव में भी पूजा अर्चना किया।

यह कार्यक्रम लगभग एक घंटे से अधिक चला। उसके बाद सभी वापस सोसाइटी परिसर आए। सोसाइटी परिसर में स्थापित अनाकारिक धर्मपाल की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर बीटीएमसी की सचिव डॉ. महा श्वेता महारथी सहित स्कूली बच्चों ने धर्मपाल के प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया।

दोपहर बाद एक सभा का आयोजन किया गया। जिसमें शुक्रवार को आयोजित स्कूली बच्चों के वाद-विवाद, लेखन व चित्रकला प्रतियोगिता के विजयी छात्रों को पुरस्कृत किया गया।

कौन थे धर्मपाल ?

अनागारिक धर्मपाल 19-20 वीं सदी के बौद्ध धर्म के महानतम पुनरुद्धारक माने जाते हैं। आधुनिक बौद्ध साहित्य में श्रीलंकाई मूल के बौद्ध भिक्षु अनागारिक धर्मपाल को बौद्धधर्म तथा महाबोधि मंदिर का उद्धारक माना जाता है। विभिन्न बौद्ध ग्रंथों में उन्हें बौद्ध धर्मदूत की संज्ञा से विभूषित किया गया है।

बोधगया महाबोधि मंदिर के लिए आजीवन संघर्ष किया है तथा महाबोधि सोसाइटी के 20 से अधिक शाखा भारत, श्रीलंका एवं विश्व के कई देशों में स्थापित किया। प्रतिवर्ष बोधगया में अनागारिक धर्मपाल की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है।

 

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