पटना: बिहार एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। बताया जा रहा है कि बार बार बैठकों का आयोजन करने के बाद भी भाजपा और जदयू में बात नहीं बन रही है। किसी को फलाना सीट चाहिए तो किसी को ठेकाना सीट चाहिए। कोई सीटिंग सीट नहीं छोड़ना चाहता तो कोई अपना परम्परागत सीट दाव पर नहीं लगाना चाहता। कुल मिलाकर इतना कहा जा सकता है कि अभी हाई वोल्टेज ड्रामा देखना बाकी है।
ताजा अपडेट के अनुसार भाजपा के लगभग आधा दर्जन मौजूदा सांसदों की सीटें भी खतरे में हैं। भाजपा इस मामले में जल्दबाजी नहीं करना चाहती है, क्योंकि तालमेल में घाटा उसे ही उठाना है। भाजपा और जदयू में मोटे तौर पर सीटों की संख्या को लेकर तो सहमति हो गई है, लेकिन सीटों के नामों को लेकर पेच बाकी है।
लोजपा व जदयू में भी एक दो सीटों को लेकर विवाद है। जदयू लोजपा की जीती हुई मुंगेर सीट चाहता है। हालांकि इसके बदले में वह लोजपा को उसकी पसंद वाली दूसरी सीट देने की बात कर रहा है। इसमें भाजपा की दिक्कतें बढ़ रही हैं। वह तीनों सहयोगी दलों के बिहार के भीतर के समीकरणों से तो जूझ ही रही है। साथ ही अपनी जीती हुई सीटों को बचाने की जद्दोजहद से भी जूझ रही है।
जदयू का बक्सर सीट पर भी दावा है। भाजपा फिलहाल इस पर तैयार नहीं है। अगर वह जदयू के पास जाती है तो वहां से भाजपा सांसद केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे भागलपुर जा सकते हैं। ऐसे में पिछली बार भागलपुर से चुनाव लड़ें भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य शाहनवाज हुसैन को नई सीट तलाशनी पड़ेगी। जदयू सूत्रों का कहना है कि शाहनवाज किशनगंज, अररिया या कटिहार से भी लड़ सकते हैं। हालांकि भाजपा शाहनवाज की सीट बदलने के पक्ष में नहीं है।
सीटों के तालमेल में भाजपा पर राष्ट्रीय दल होने को लेकर भी दबाव है। इस मामले में जदयू, लोजपा और रालोसपा नेताओं का कहना है कि भाजपा तो पूरे देश में कहीं से भी अपनी सीटें घटा बढ़ा सकती है, लेकिन उनका जनाधार बिहार तक ही सीमित है, इसलिए बिहार में उनको प्रमुखता दी जाए।
Source: Live Bihar