बिहार के इस स्‍टेशन का नाम बदलने की तैयारी, भाजपा ने उठाई मांग

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पटना: पिछले कुछ वर्षों से देश में रेलवे स्‍टेशन, मेट्रो स्‍टेशन व मार्गों का नाम बदलने का सिलसिला तेज हो गया है। मुगलसराय रेलवे स्‍टेशन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय स्‍टेशन कर दिया गया। दिल्‍ली स्थित रेस कोर्स मेट्रो स्‍टेशन का नाम बदलकर लोक कल्‍याण मार्ग स्‍टेशन कर दिया गया। दिल्‍ली में औरंगजेब रोड का नाम बदलकर पूर्व राष्‍ट्रपति और वैज्ञानिक डाॅ. एपीजे अब्‍दुल कलाम के नाम पर किया गया। डलहौजी रोड़ का नामकरण दारा शिकोह के नाम पर किया गया। इसी कड़ी में एक और नया नाम जुड़ सकता है, वह है बिहार के बख्तियारपुर जंक्‍शन का। भाजपा प्रवक्‍ता अश्विनी उपाध्‍याय ने यह मांग उठायी है।

बख्तियारपुर स्‍टेशन का नाम बदलने की उठ रही मांग

भाजपा प्रवक्‍ता अश्विनी उपाध्‍याय ने बिहार के बख्तियारपुर जंक्‍शन का नाम बदलने की मांग की है। एक ट्वीट में बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्‍यमंत्री सुशील मोदी, रेल मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्‍हा को टैग कर ध्‍यान देने का आग्रह किया है। उन्‍होंने लिखा कि बख्तियारपुर जंक्‍शन का नाम क्रूर मुस्लिम आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी के नाम पर रखा गया है। यह वही व्‍यक्ति है जिसने नालंदा विश्‍वविद्यालय को क्षति पहुंचायी थी। दुर्भाग्‍यवश हम अभी तक इसका नाम बदलने में असफल रहे हैं। मैं नीतीश कुमार, सुशील मोदी, पीयूष गोयल और मनोज सिन्‍हा से इस मामले में संज्ञान लेने की अपील करता हूं।

उत्‍तर प्रदेश सरकार की संस्तुति पर केंद्र सरकार ने मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर रख दिया गया है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर जानकारी दी कि मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर कर दिया गया है। दीनदयाल जी का जहां पार्थिव शरीर मिला था, उस स्थल पर उनकी स्मृति में प्रतीय चिह्न भी लगा दिया गया है।

ट्वीट में प्रतीक का मतलब पं. दीनदयाल उपाध्याय के पार्थिव शरीर पर मिलने वाले 1276 खंबे से था, जहां रेलवे ने 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल की जयंती से एक दिन पहले आनन फानन में खंभा लगाकर 1276 संख्या अंकित की थी। रेलवे ने पहले से ही अपनी आंतरिक तैयारी पूरी कर रखी है।

खिलजी ने नष्‍ट कर दिया था प्राचीन नालंदा विश्‍वविद्यालय

बिहार की राजधानी पटना से करीब 90 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व और राजगीर से 12 किलोमीटर उत्तर में एक गांव के पास अवस्थित था नालंदा विश्‍वविद्यालय। यह पूरी दुनिया में ज्ञान का केंद्र था। कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत और तुर्की से यहां स्टूडेंट्स और टीचर्स पढ़ने-पढ़ाने आते थे। इस विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त शासक कुमारगुप्त प्रथम 450-470 ने की थी।

यहां बौद्ध धर्म के साथ ही दूसरे धर्मों की भी शिक्षा दी जाती थी। मशहूर चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी यहां साल भर शिक्षा ली थी। यह विश्व की ऐसी पहली यूनिवर्सिटी थी, जहां रहने के लिए हॉस्टल भी थे।उस वक्त यहां 10 हजार छात्र पढ़ते थे, जिन्हें 2 हजार शिक्षक गाइड करते थे।

खिलजी ने 1203 में बिहार पर जीत हासिल कर दिल्ली में अपने राजनीतिक कद को ऊंचा उठाया था। इस विजय अभियान के दौरान खिलजी की सेना ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय और विक्रमशिला विश्वविद्यालय को नेस्तनाबूत कर हजारों की संख्या में बौद्ध भिक्षुओं की हत्या कर दी। कहा जाता है कि नालंदा विश्‍वविद्यालय में आग लगने के बाद छह माह तक यहां रखी किताबें जलती रही थी।

Source: dainik jagran

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