बिहार में बिषहरी देवी की पूजा होती है बाएं हाथ से, जानें इसकी वजह, खगड़िया में लगा है मेला

आस्था जानकारी

खगड़िया के जमालपुर में अंग प्रदेश की लोकगाथा पर आधारित बिहुला बिषहरी की पूजा बड़े धूमधाम से की जा रही है. यहां बिषहरी की भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है. साथ ही मंदिर प्रांगण में भव्य मेला का आयोजन किया गया है. श्रद्धालुओं में उत्साह का माहौल है.

लोककथाओं के मुताबिक, बिषहरी भगवान शिव की पुत्री थीं. लेकिन उनकी पूजा कोई नहीं करता था. इसलिए उन्होंने चांदो सौदागर नाम के शिवभक्त को उनकी पूजा करने को कहा. लेकिन चांदो सौदागर ने इनकार कर दिया. क्रोधित होकर बिषहरी ने सौदागर के पूरे परिवार का विनाश करना शुरू कर दिया. सिर्फ सौदागर का छोटा बेटा बाला लखेंद्र बचा. जिसकी शादी उज्जैन की बिहुला से हुई. अपने बेटे को बिषहरी से बचाने के लिए सौदागर ने लोहे और बांस से एक घर बनाया ताकि उसमे एक भी छिद्र न रहे. बावजूद सुहागरात को बिषहरी के भेजे नाग ने बाला को डंस लिया, जिससे उसकी मौत हो गई. तब सती बिहुला ने अपने पति के शव को लेकर केले के थंब से बनाए नाव से स्वर्गलोक की यात्रा की और अपने पति के प्राण वापस ले आई. इसके बाद सौदागर बिषहरी की पूजा करने ले लिए राजी हो गया. लेकिन बाएं हाथ से, तब से आज तक बिषहरी की पूजा बाएं हाथ से होती है.

22 अगस्त तक बिषहरी मेला

मंदिर के पुजारी मनोज कुमार झा ने बताया कि 17 अगस्त की रात्रि में बिषहरी की पूजा की गई. 18 अगस्त शाम को मेला का उद्घाटन हुआ. यह मेला 22 अगस्त की रात तक रहेगा. 23 अगस्त को बिषहरी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा. वहीं मेले में लोगों को खाने-पीने के साथ साथ मौज-मस्ती करने के लिए कई तरह के झूले लगाए गए हैं. मेले में तरह तरह के मिष्टान, नमकीन के साथ-साथ आइसक्रीम और चाइनीज फूड की भी दुकानें लगी हैं. वहीं बच्चों के साथ-साथ बड़ों के लिए जायंट व्हील झूला, नाव वाला झूला और ब्रेक डांस झूले की व्यवस्था है.

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