कोसी के कछार में बसे राघोपुर प्रखंड के गोसपुर गांव की प्रतिभा ने अपनी कामयाबी का झंडा लहराकर राज्य का नाम रोशन कर दिया है।
करजाईन थाने के गोसपुर के लाल संदीप कुमार झा का चयन हैदराबाद स्थित इसरो में जूनियर वैज्ञानिक के तौर पर हुआ है।
मात्र 26 साल की उम्र में संदीप ने यह उपलब्धि हासिल कर न सिर्फ अपने गांव, जिले का बल्कि बिहार का मान बढ़ाया है।
संदीप का सेलेक्शन इस साल रिमोट सेसिंग और जीआइएस परीक्षा के आधार पर इसरो के लिए हुआ है। उनका शोध क्षेत्र ‘ग्लेसियर मेल्टिंग फॉर पोलर रीजन’ है।
फिलहाल, संदीप हैदराबाद स्थित इसरो में प्रशिक्षण हासिल कर रहा है। संदीप ने अल्मोड़ा कैंपस से रिमोट सेसिंग और जीआइएस में उच्च शिक्षा हासिल की है।
बिहार के लखीसराय में पीडब्ल्यूडी विभाग में कार्यरत पिता सुरेश कुमार झा और गृहिणी मां अनिला झा की दो संतानों में संजीव छोटा है।
खुशी से झूमा गोसपुर गांव
प्रखंड के गोसपुर गांव के लाडले संदीप की सफलता की जानकारी सुनते ही पूरे गांव के लोग खुशी से झूम उठे। साथ ही गोसपुर सहित आसपास के लोग अपनी क्षेत्र की प्रतिभा की ऊंची उड़ान से इठला रहे हैं।
उनके चाचा अशोक झा, चाची व पंसस अमीरा झा, उमाकांत मिश्र, रिंकू झा, अजय मिश्र, तेजनारायण झा, पंडित सूर्यनारायण झा, चंद्रभूषण मिश्र, रमेश मिश्र, उमेश मिश्र सहित अन्य ने बताया कि संदीप के चयन से उनलोगों को इतनी खुशी मिली है, जिसे वे शब्दों में बयां नहीं कर पा रहे हैं।
कहा कि अब तक सिर्फ इसरो व नासा का नाम सुन रहा था, लेकिन अब उनके परिवार का लाडला अंतरिक्ष में उड़ान भरेगा, इस तथ्य को उनलोगों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था।
परिजनों को दिया सफलता का श्रेय
संदीप ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता सहित बड़ी बहन मौसम को दिया है। उन्होंने बताया कि माता-पिता और बड़ी बहन की बदौलत ही आज यह मुकाम हासिल हो पाया है।
उन्होंने बताया कि गांव से उन्हें बेहद लगाव रहा है। उनका कहना है कि गांव का जीवन कठिन जरूर है, लेकिन यह परेशानी कोसी के लोगों को आगे बढ़ने का हौसला व जज्बा देती है।
विपरीत परिस्थितियों में भी कोसी की प्रतिभाएं लगातार आगे बढ़ रही है। यहां की प्रतिभाओं को विश्व पटल पर पहचान मिल रही है।
कर्मठता और हौसले की तारीफ हो रही हैं। इससे हमें और अच्छा काम करने की प्रेरणा मिलती है।
इस बेटी ने बढ़ा दिया पूरे बिहार का मान
बिहार के भोजपुर जिले के आरा शहर में रहने वाली रौनिका आनंद ने नासा की साइंटिस्ट बनकर पूरे राज्य का मान बढ़ाया।
रौनिका आनंद ने पहली बार में ही एशियन रीजनल स्पेस सेटलमेंट डिजाइन कंपीटीशन (एआरएसडीसी) में सफलता हासिल की।
2015 में आयोजित इस कंपीटीशन में रौनिका एशिया में पहले स्थान पर आयी थीं। इसके बाद नासा ने रौनिका को मैसेज कर चयन के बारे में जानकारी दी और उसे काम करने के लिए बुलाया।
रौनिका आरा शहर के महाराणा प्रताप नगर के शिक्षक सतीश कुमार की बेटी हैं। डीएवी धनुपरा से शिक्षा ग्रहण करने के बाद रौनिका ने उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली के डीपीएस वसंत कुंज में प्रवेश लिया और वैज्ञानिक बनने की तैयारी करने लगी।
रौनिका की तीन बहनें हैं। सबसे बड़ी जीरसा आनंद, प्रतिभा आनंद और सबसे छोटी रौनिका आनंद हैं।
मां असनी गर्ल्स हाईस्कूल की प्राचार्या हैं, तो पिता क्षत्रीय स्कूल में भौतिकी के शिक्षक हैं। रौनिका के शिक्षक एसके तिवारी ने बताया कि रौनिका सभी बच्चों में खास थी।
वह स्कूल में हमेशा टॉप आती थी। रौनिका ने उनसे वैज्ञानिक बनने की इच्छा बतायी थी। इसके बाद उसे पढ़ने के लिए दिल्ली भेज दिया गया।
शिक्षक एसके तिवारी ने कहा कि रौनिका ने स्पेस सेटलमेंट डिजाइन पर कार्य करना क्लास 9 से ही शुरू कर दिया था। इस साल पांच व छह अगस्त को वीआइटी, वेल्लोर में आयोजित इंडियन स्पेस कॉन्क्लेव 2017 में भी रौनिका ने पार्टिसिपेट किया था़