अब वैसे बच्चे भी स्कूल जाएंगे, जो कचरा चुनने में अपना बचपन खो देते हैं। जी हां, शिक्षा विभाग अब आउट ऑफ स्कूल बच्चों का (स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चे) सर्वे करवाएगा। इसके तहत शहरी क्षेत्रों में स्ट्रीट पर भटकने वाले बच्चे, स्टेशन, चौक-चौराहे पर घूमने वाले बच्चों को शिक्षा से जोड़ा जाएगा।
राज्य परियोजना परिषद द्वारा इसको लेकर राज्य भर के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र भेजा गया है। बीते मंगलवार को डीएम की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी इस बात को लेकर चर्चा हुई कि आउट आफ स्कूल के तहत स्ट्रीट बच्चों का सर्वे कैसे किया जाए
सर्वेक्षण में शिक्षकों के अतिरिक्त परियोजना कार्यालय से जुड़े एनजीओ, बीएड, डीएलएड का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रशिक्षुओं का सहयोग लिया जाएगा। इसके अलावा बच्चों के संबंध में रेल पुलिस व स्थानीय प्रशासन सहित अन्य जगह से इसकी जानकारी ली जाएगी।
बच्चों के सर्वे के दौरान प्रपत्र में कुल 24 तरह की जानकारी भरी जानी है। अगर बच्चे के पास आधार कार्ड नहीं है तो इसे खाली छोड़ा जाएगा। ताकि बच्चों का चयन कर उन्हें शिक्षा से जोड़ा जाए और उन्हें एक बेहतर भविष्य दिया जाए।
गृहवार भी आउट ऑफ स्कूल बच्चे का सर्वेक्षण
बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से राज्य स्तर पर एक सर्वेक्षण पत्र बनाया गया है। इसके तहत अब स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों का शिक्षक अपने पोषक क्षेत्र में सर्वेक्षण करेंगे। जिसमें 6 वर्ष और 15 से 19 वर्ष के आयु वर्ग वाले बच्चों का पहचान किया जाएगा।
बच्चा 6-8 वर्ष हो तो उसका नामांकन कक्षा 1-3 में करा दिया जाएगा। इन बच्चों के लिए किसी विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था नहीं होगी। 8-11 वर्ष के बच्चों को गैर आवासीय प्रशिक्षण दिया जाएगा।
दूसरी ओर 8-14 वर्ष के बच्चों के लिए सबसे पहले बेसलाइन टेस्ट किया जाएगा, ताकि बच्चों के समझने की शक्ति को परखा जा सके। सर्वेक्षण के बाद सभी बच्चों के डाटा को प्रबंध पोर्टल पर अपलोड किया जाना है।
“आउट आफ स्कूल बच्चे का सर्वेक्षण किया जाएगा। इसके तहत वैसे बच्चे भी स्कूल जा पाएंगे, जिन्हें जिन्हें आज तक स्कूल जाने का मौका नहीं मिला है। शिक्षा विभाग इसको लेकर रणनीति तैयार कर रहा है। जल्द ही सर्वेक्षण शुरू किया जाएगा।
संजय कुमार, डीइओ भागलपुर”