बिहार में कोरोना के बाद मंकीपॉक्स का संक्रमण फैलने का खतरा पैदा हो गया है। मगर बिहार अभी इसके लिए तैयार नहीं है। राज्य में मंकीपॉक्स की जांच की सुविधा नहीं है। न ही केंद्र सरकार ने किसी भी लैब को इसके लिए अधिकृत किया है। राज्य सकार की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर को इस बारे में अनुरोध किया जाएगा। केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद ही बिहार में मंकीपॉक्स की जांच की सुविधा शुरू हो पाएगी। इसमें कम से कम तीन हफ्तों का समय लग सकता है।
हाल ही में पटना और नालंदा जिले में मंकीपॉक्स के दो संदिग्ध मरीजों के मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर आ गया है। मंकीपॉक्स जांच की सुविधा नहीं होने से अभी सैंपल को पुणे भेजे जा रहे हैं। हालांकि इसकी रिपोर्ट आने में 4-5 दिन लगते हैं। बिहार में मंकीपॉक्स जांच शुरू होने में तुरंत शुरू नहीं हो सकती है, क्योंकि केंद्र से अनुमति मिलने के बाद जांच के लिए आवश्यक री-एजेंट की भी व्यवस्था करनी होगी।
कोरोना आने के दो महीने बाद बिहार में शुरू हुई थी जांच
2020 में कोरोना संक्रमण का नया खतरा सामने आने के दो महीने बाद बिहार में जांच की सुविधा शुरू हुई थी। जनवरी 2020 से देश में कोरोना संक्रमण के संदिग्ध मरीजों के मिलने का सिलसिला शुरू हुआ था। तब, राज्य में कोरोना जांच के लिए किसी भी लैब को अधिकृत नहीं किया गया और न ही यहां कोई जांच की सुविधा उपलब्ध थी।
आईसीएमआर की इकाई राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट पटना में भी तब कोरोना जांच की सुविधा नहीं थी। आरएमआरआई के निदेशक कृष्णा पांडेय के अनुसार आरएमआरआई में 6 मार्च 2020 से कोरोना जांच शुरू हुई। शुरुआती दौर में संदिग्ध मरीजों के सैंपल कोरोना जांच के लिए पुणे में भेजे जाते थे। सैंपल की जांच रिपोर्ट के आने में करीब एक सप्ताह का समय लगता था।
वहां देश भर से सैंपल भेजे जाते थे, इसलिए जांच कर रिपोर्ट तैयार करने में अधिक समय लगता था। बाद में, राज्य सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार ने आईसीएमआर की क्षेत्रीय प्रयोगशाला आरएमआरआई, पटना में कोरोना जांच की सुविधा प्रदान की। 31 मई 2020 तक आरएमआरआई में मात्र 800 से 1000 सैंपल की ही जांच हो पा रही थी। इसके बाद आईजीआईएमएस एवं पीएमसीएच में कोरोना जांच की सुविधा शुरू की गयी।