बिहार में यहीं से शुरू हुई थी विश्वकर्मा पूजा, 97 साल पुराना है इतिहास

आस्था जानकारी

 भागलपुर में 17 व 18 सितंबर दोनों दिन विश्वकर्मा पूजा मनाया जा रही है. कुछ लोग 17 तो कुछ लोग 18 को विश्वकर्मा पूजा मना रहे हैं. लेकिन आपको बता दें कि भागलपुर से भगवान विश्वकर्मा जी का पौराणिक जुड़ाव रहा है. ऐसी मान्यता है कि बाला लखेंद्र के घर को भी भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाया था. लेकिन आपको बता दें कि बिहार में विश्वकर्मा पूजा की शुरुआत भागलपुर से हुई है. पहली प्रतिमा भागलपुर के मिरजानहाट रोड स्थित मोहद्दीनगर में स्थापित की गई. उसके बाद पूरे बिहार में प्रतिमा बैठने का प्रचलन चलने लगा. आइए जानते हैं इससे जुड़ी क्या कहानी है.

1926 में बना था यह मंदिर

विश्वकर्मा समिति के अध्यक्ष प्रीतम विश्वकर्मा ने बताया कि यह मंदिर 1926 में ही बना है. सबसे पहली बार ठाकुर शर्मा ने विश्वकर्मा भगवान की पूजा की थी. उन्होंने ही इस मंदिर को स्थापित किया था. पहली बार इनकी पूजा भी उन्होंने ही थी. उन्होंने बताया कि यहां पर बड़े धूमधाम से विश्वकर्मा पूजा की जाती है. मेला भी लगता है. आपको बता दें कि बिहार के अलग-अलग जिले से लोग यहां पहुंचते हैं. प्रीतम विश्वकर्मा ने बताया कि जो भी मन्नत मांगते हैं वह सारी मन्नत पूर्ण होती है. यहां पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित की जाती है

वहीं मनीष कुमार ने बताया कि खासकर कामगार समाज के लोग यहां पर पहुंचते हैं. भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है.जो लोग जैसा वरदान मांगते हैं वो पूराहोती है. बिहार के कई जिलों से लोग यहां पहुंचते हैं. सबसे अधिक जिले के आसपास नवगछिया बांका, मुंगेर, पूर्णिया सहित अन्य जगहों से लोग आते हैं.

वहीं मंदिर के संरक्षक रंजीत कुमार शर्मा ने बताया कि जिनकी मांगी मूराद पूरी होती है वह यहां पर चांदी काहीथीया जो भी होता है वह जरूर भगवान को आकर चढ़ाते हैं. उन्होंने बताया कि हमारे पुरखों से ही यह मंदिर है. इसकी पूजा हम लोग बड़े ही धूमधाम से करते हैं. प्रशासनिक सहयोग भी मिलता है. इसके साथ ही आसपास के समाज का काफी सहयोग मिलता है. मंदिर में सभी वर्ग के लोग पहुंचते हैं और बड़े ही श्रद्धा पूर्वक पूजा अर्चना भी करते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *