बिहार में यहां 12 दिन तक सजता है ‘लाल बादशाह’ का दरबार, 125 साल से कायम है यह परंपरा

आस्था जानकारी

यूं तो गणेश पूजा महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है. रक बिहार के नालंदा में भी गणेश चतुर्थी के दिन महाराष्ट्र की तर्ज पर धूम देखने को मिलती है. यहां भी लाल बादशाह की पूजा की जाती है, लेकिन यहां जिन्हें बुढ़वा गणेश के नाम से जाना जाता है.

लोगों की मान्यता है कि भगवान श्री गणेश के जन्मोत्सव के रूप में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. गणेश जी सर्वप्रथम पूजनीय देवता हैं. ये धन, विज्ञान, ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि के देवता के रूप में जाने जाते हैं. गणेश जी को 108 अलग-अलग नामों से जाना जाता है. जैसे गजानन, विनायक, विघ्नहर्ता. गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है. भाद्र महीने में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है.

125 साल की परंपरा

नालंदा मुख्यालय बिहार शरीफ स्थित सोहसराय थाना क्षेत्र के गोलापुर में भगवान गणेश की भव्य आकर्षक प्रतिमा तैयार की जाती है. उस स्थल का नाम ही बुढ़वा गणेश है. जानकार सुरेश प्रसाद और छात्रा सिमरन बताती हैं कि आज से 125 साल पूर्व महाराष्ट्र और गुजरात के व्यापारी जब व्यापार के लिए पहुंचते थे, तो उन्हें व्यवसाय के सिलसिले में रुकना पड़ता था. तो एक समय गणेश चतुर्थी पर व्यापारी घर नहीं जा सके और यहां उनलोगों ने मिलकर गणेश की प्रतिमा बनाई और फिर उनकी पूजा शुरू की. उस रोज शुरू हुई पूजा आज परंपरा का रूप ले चुकी है.

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