बिहार के सीवान स्थित एक ऐसे ऐतिहासिक और प्रसिद्ध मंदिर की हम बात करने जा रहे हैं, जहां मां दुर्गा की वृद्ध रूप की पूजा की जाती है. यह सीवान का इकलौता बुढ़िया माई मन्दिर है, जहां वृद्ध रूप की पूजा होती है. यही वजह है कि यह मंदिर सीवान ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में प्रसिद्ध है. सीवान शहर से गुजरने वाले अधिकांश लोग बुढ़िया माई का दर्शन करने यहां रुक जाते हैं. बुढ़िया माई का दर्शन कर सफर शुरू करना शुभ मना जाता है.
पुजारी धनंजय पांडेय ने बताया कि समय के साथ बुढ़िया माई के कई नाम रहे हैं. जब अंग्रेजी हुकूमत थी तो उस समय सीवान शहर जंगलों से घिरा हुआ था. इस समय मां बुढ़िया माई को जंगली माई कहा जाता था. जब सीवान जिला बना और सदर अस्पताल की स्थापना हुई तो उस समय हीं चिराई घर (पोस्टमार्टम कार्यालय) बना. इलाज कराने आने वाले लोग माई के दरबार में बैठकर मन की शांति के लिए ध्यान भी लगाते थे. लोग बुढ़िया माई को चिराई वाली माई कहने लगे थे. हालांकि मां दुर्गा को लोग बुढ़िया माई भी कहते हैं.
मां दुर्गा के वृद्ध रूप है बुढ़िया माई
पुजारी धनंजय पांडेय ने बताया कि 1926-1927 के बीच मंदिर के भवन का निर्माण भागीलाल साह के पुत्र सीताराम साह ने संपन्न कराया. इन्हीं के सहयोग से स्थानीय शिल्पकार रामजी प्रसाद के द्वारा “माई की पिंड” की जगह एक मिट्टी की मूर्ति का निर्माण कराया गया जो आज भी मौजूद है. हालांकि कुछ समय बाद से जंगल कटने लगे और सीवान एक शहर का रूप लेने लगा. “बुढ़िया माई” के चारो ओर की जमीन पर एक आबादी नजर आने लगी. इसके साथ ही “चिराई घर के माई” की महिमा एवं उनके तेज का प्रचार-प्रसार भी तेजी के साथ होने लगा.