बिहार में मॉनसून की बेरूखी के चलते कई जिलों में बारिश की कमी है। इससे सूखे के हालात बने हुए हैं। किसानों की खरीफ की फसलें बर्बाद हो गई हैं। धान के खेतों में सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा है। आलम ये है कि अब तक राज्य के आधे से ज्यादा किसानों को कृषि बिजली कनेक्शन तक नहीं मिल पाया है।
बिहार पंपसेट से सिंचाई करने वाले किसानों की संख्या आठ लाख है। इनमें से अब तक सिर्फ साढ़े तीन लाख किसानों को ही कृषि बिजली कनेक्शन मिल पाया है। अन्य किसानों को अगले तीन साल के अंदर बिजली कनेक्शन देने की योजना है। इस योजना पर 6 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।
इन सबके बीच कृषि फीडर की व्यवस्था भी ढंग से नहीं हो पाई है। राज्य में 13 हजार से ज्यादा कृषि फीडर लग चुके हैं। मगर ट्रांसफार्मर की क्षमता कम होने से किसानों को पूरा फायदा नहीं पहुंच रहा है। बिजली कंपनी ने किसानों के लिए अलग से 25 केवी का ट्रांसफार्मर लगाया है। लेकिन अगर 5-7 खेतों में एक साथ मोटर चालू हो जाए तो ट्रांसफार्मर जल जाते हैं।
बता दें कि बिहार के 35 जिलों में सूखे का संकट बना हुआ है। यहां अभी तक सामान्य से बहुत कम बारिश हुई है। इनमें से एक तिहाई जिले ऐसे हैं, जहां बारिश की कमी का आंकड़ा आधे से ज्यादा है। ऐसे में धान की रोपनी बुरी तरह प्रभावित हुई है। पानी नहीं होने से या तो बिचड़े सूख गए हैं या फिर रोपने लायक ही नहीं बचे हैं। कुछ किसान पंपसेट लगाकर सिंचाई कर रहे हैं, लेकिन इसकी लागत ज्यादा होने से अब ये विकल्प भी नाकाफी है। हालात यही रहे तो इस बार किसानों को अरबों रुपये का नुकसान होगा।