बिहार में जाति आधारित गणना की गति जैसे-जैसे तेज हो रही वैसे-वैसे गणनाकर्मियों को कई नई जानकारियां मिल रही हैं।
कई ऐसी जातियों के नाम सामने आ रहे हैं, जो राज्य सरकार की जातियों की सूची में अधिसूचित नहीं हैं।
इसी तरह सिख और ईसाई धर्म में कोई जाति नहीं होने की वजह से यह मामला फंसा कि इन्हें किस जाति के कोड के समक्ष रखा जाए।
इस समस्या के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने यह तय किया कि जो जातियां राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित जातियों की श्रेणी मे नहीं हैं, उन्हें 215 कोड में डाला जाए।
इस बारे में जिलों को भी यह पत्र भेज दिया गया है कि गणनाकर्मियों तक इस विषय की जानकारी उपलब्ध करा दी जाए।
सिख व ईसाई से उनकी जाति के बारे में पूछने पर आई समस्या
बिहार के प्राय: हर जिले में सिख और ईसाई समुदाय के लोगों की मौजूदगी है। कुछ जिलों में गणनाकर्मियों ने जब उनसे उनकी जाति के बारे में पूछा तो यह समस्या उत्पन्न हो गई।
इन लोगों को सिर्फ यह पता था कि वे सिख हैं या फिर ईसाई हैं। इनकी जाति नहीं होती है, इसलिए ये लोग अपनी जाति नहीं बता पाए।
समस्या यह थी कि इन्हें किस नंबर के तहत रखा जाए। इसके बाद यह तय हुआ कि इनका कोड 215 रहेगा।
सिख के साथ-साथ मोगल जाति को भी 215 नंबर के अधीन रखे जाने का फैसला हुआ। यह जाति भी राज्य सरकार के तहत अधिसूचित जाति में शामिल नहीं है।
जातियों को मूल दस्तावेज से जोड़ा जाएगा
उल्लेखनीय है कि जातियों के लिए कुल 215 कोड निर्धारित किए गए हैं। 215 कोड की जातियों को मूल दस्तावेज के साथ जोड़ा जाएगा।
सामान्य प्रशासन विभाग के संबंधित अधिकारी का कहना है कि जिन जाति व धर्म से जुड़े लोगों को 215 नंबर के तहत रखा गया है, उनकी सूची मूल दस्तावेज के साथ जोड़ी जाएगी।
इस श्रेणी के तहत जो इंट्री होनी है उसमें यह लिखना जरूरी है कि वे किस जाति या धर्म के लोग हैं।
इससे यह भी सामने आएगा कि सिख व ईसाई धर्म को मानने वाले लोग कितनी संख्या में यहां रहते हैं।