बहुरूपिया कला में माहिर राजस्थान के जयपुर निवासी गुड्डू बहुरूपिया लगातार 25 वर्षों से बिहार के बेतिया के चनपटिया आते हैं। उनके पूर्वज भी इसी कला के सहारे अपना जीवन-यापन करते थे। वर्तमान में वह अपने एक भाई के साथ इस कला का प्रदर्शन विभिन्न राज्यों में घूम-घूम कर करते हैं।
हर वर्ष गुड्डू किराये का मकान ले लगातार 10 से 12 दिन तक अलग-अलग वेश बनाते हैं। कभी चंद्रकांता का क्रूर सिंह, पागल, भगवान, तो कभी अंधा व लंगड़ा की दोस्ती सहित विभिन्न रूपों को धारण कर लोगों का मनोरंजन करते हैं और चले जाते हैं।
इसके बदले वह स्थानीय दुकानदारों व लोगों से अंतिम दिन पारिश्रमिक के रूप में रुपया भी वसूलते हैं। उनके इस कला को देखने के लिए सबसे ज्यादा बच्चों की भीड़ जुटती है।