बिहार में अब ऑक्सीजन की कमी से मरीज की मौत नहीं होगी, क्योंकि प्रतिदिन 400 मीट्रिक टन ऑक्सीजन प्लांटों में शुरू हो गया है। राज्य के सभी जिला अस्पताल एवं अनुमंडलीय अस्पतालों में ऑक्सीजन की जरूरत वाले मरीजों को 24 घंटे ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जा रही है।
उत्पादन शुरू होने के पूर्व दो बार मॉक ड्रील भी किया गया। पीएसए ऑक्सीजन प्लांट के अतिरिक्त निजी एवं औद्योगिक ऑक्सीजन प्लांटों में भी ऑक्सीजन का उत्पादन पहले से हो रहा है। कोरोना काल में ऑक्सीजन की किल्लत से मरीजों के परेशान होने के बाद केंद्र व राज्य सरकार ने राज्य में ऑक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता पर जोर दिया। नतीजतन, ऑक्सीजन की उपलब्धता राज्य में बढ़ गयी है। कोरोना काल के दौरान बिहार में 119 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं। इनमें भारत सरकार द्वारा अनुशंसा प्राप्त 84 आईटीआई प्रशिक्षितों को तैनात किया गया है।
कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया
इसके अतिरिक्त 1600 कर्मियों को ऑक्सीजन प्लांट संचालित किए जाने का प्रशिक्षण दिया गया है। इनमें 800 डॉक्टर एवं 800 स्वास्थ्यकर्मी शामिल हैं। ट्रामा (आघात), एक्सीडेंट (दुर्घटना), गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान व अन्य मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे अस्पतालों में मरीजों के जीवन रक्षा की संभावना (जीवन संभाव्यता) बढ़ गयी है। अस्पतालों में पाइप लाइन के माध्यम से इमजरेंसी व आईसीयू में ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही है।
कहते हैं स्वास्थ्य मंत्री
स्वास्थ्य मंत्री,मंगल पांडे कहते हैं कि प्लांटों में ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू हो गया है। ऑक्सीजन की राज्य में पर्याप्त उपलब्धता है, जिससे किसी भी चुनौतियों से मुकाबला किया जा सकेगा।
सरप्लस ऑक्सीजन हो रहा संरक्षित
राज्य में प्रतिदिन करीब 130 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत है। उपयोग के अतिरिक्त शेष बचे ऑक्सीजन को संरक्षित भी किया जा रहा है। सरप्लस ऑक्सीजन को छोटे-बड़े सिलेंडरों में भरा जाता हैद। अस्पतालों में लगाए गए टैंकों में बफर स्टॉक के रूप में रखा जा रहा है। ताकि किसी भी महामारी या आपात स्थिति के दौरान ऑक्सीजन की कमी को पूरा किया जा सके।