बिहार में मानसून हुआ कमजोर, इस महीने बारिश की उम्मीद नहीं; आसमान में छाए रहेंगे हल्के बादल

जानकारी

सावन का महीना चल रहा है। लेकिन मौसम जेठ की तरह बना है। आसमान पूरी तरह साफ और तेज धूप। प्रतिदिन सुबह से ही उमस भरी गर्मी लोगों को परेशान कर रही है। मानसून कमजोर पड़ चुका है। इसलिए अभी अच्छी वर्षा की उम्मीद नहीं है।

पटना समेत दक्षिणी भागों का मौसम दो दिनों तक शुष्क बना रहेगा। मंगलवार को पटना और इसके आसपास इलाकों में आंशिक बादल छाए रहे। बीते 24 घंटों के दौरान उत्तरी भागों के अधिसंख्य स्थानों पर हल्की वर्षा दर्ज की गई। अगले  तीन-चार दिनों के दौरान कहीं-कहीं हल्की वर्षा होने की संभावना है।

मंगलवार को जारी मौसम पूर्वानुमान में यह बात कही गई है। डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के मौसम विभाग के द्वारा 30 जुलाई तक के लिए जारी मौसम पूर्वानुमान में कहा गया है कि पूर्वानुमान की अवधि में उत्तर बिहार के जिलों के आसमान में हल्के से मध्यम बादल छाए रह सकते हैं।

मानसून कमजोर बने रहने के कारण उत्तर बिहार में अच्छी वर्षा होने की संभावना बहुत कम है। अगले तीन-चार दिनों के दौरान कहीं-कहीं हल्की वर्षा होने की उम्मीद है। 30 जुलाई के आसपास तराई के जिलों में कुछ स्थानों पर हल्की से थोड़ी ज्यादा वर्षा हो सकती है।

इस दौरान अधिकतम तापमान 35 से 37 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है, जबकि न्यूनतम तापमान 25 से 27 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रह सकता है। मंगलवार को अधिकतम तापमान 35.1 डिग्री सेल्सियस रहा जो सामान्य से 2.1 डिग्री सेल्सियस अधिक है, जबकि न्यूनतम तापमान 26.0 डिग्री सेल्सियस रहा जो सामान्य से 0.2 डिग्री सेल्सियस अधिक है।

मौसम विभाग के अनुसार, इस दौरान सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 80 से 90 प्रतिशत और दोपहर में 55 से 65 प्रतिशत रहने की संभावना है। पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 10 से 15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पुरवा हवा चलने की संभावना है।

दिनभर छाए रहे बादल, नहीं मिली गर्मी से राहत

मंगलवार को पूरे दिन आसमान में बादल छाए रहे। शाम में कुछ जगहों पर बूंदाबांदी भी हुई, लेकिन उमस भरी गर्मी से राहत नहीं मिली। शाम में पूरबा हवा चलने से थोड़ी राहत जरूर मिली।

सिंचाई का साधन हो तो करें निचली भूमि में धान की रोपाई

किसानों के लिए जारी समसामयिक सुझाव में कृषि विश्वविद्यालय ने कहा है कि पूर्वानुमानित अवधि में वर्षा की संभावना बहुत अच्छी नहीं है। इसको देखते हुए एवं सिंचाई की उपलब्धता के अनुसार धान की रोपनी निचली जमीन में करें।

मध्यम अवधि की धान की किस्मों के लिए कदवा के समय 30 किलो ग्राम नेत्रजन, 60 किलोग्राम स्फूर एवं 40 किलोग्राम पोटाश तथा अगात किस्मों के लिए 25 किलो ग्राम नेत्रजन, 40 किलोग्राम स्फुर और 30 किलोग्राम पोटाश के साथ 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट या 15 किलोग्राम प्रति हेक्टर चिलेटेड जिंक का व्यवहार करें। रोपे हुए धान की फसल में खरपतवार निकालने का कार्य करें।

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