साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट इयर घोषित होने के बाद मोटे अनाज को बढ़ावा देने का कार्य तेजी से शुरू किया गया है. केन्द्र सरकार और राज्य सरकार ने भी मोटे अनाज को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है. कृषि विभाग भी आगे बढ़ कर काम कर रही है. मोटे अनाज को बढावा देने के लिए बिहार के गया जिले के किसानों को जागरूक किया गया. उस जागरूकता का परिणाम अब सबके सामने दिखने लगा है.
मडुआ की खेती एक उदाहरण बन कर उभरा है. बेहतर उत्पादन से किसानों के चेहरे पर खुशी है. पिछले वर्ष तक जहां गया जिले में 5 से 10 हेक्टेयर तक मडुवा और मोटे अनाज की खेती होती थी, इस वर्ष 400 हेक्टेयर में मडुवा की खेती की गई.
किसान के साथ लोगों को भी है फायदा
कम लागत और बेहतर उत्पादनवाले मोटे अनाज स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं. आमदनी के लिहाज से भी फायदेमंद हैं. कम पानी में भी इसकी अच्छी उपज होती है. गया में किसान पाठशाला लगाकर मोटे अनाज के प्रति किसानों को जागरूक किया गया था खासकर रागी यानि मड़ुआ की खेती को लेकर किसानों को खूब प्रेरित किया गया था. किसानों को प्रति एकड़ दो-दो किलोग्राम निशुल्क बीज भी कृषि विभाग की ओर से दिया गया था. फिर 25- 25 की संख्या में कलस्टर बनाकर मड़आ की खेती हुई और अब इसका सुखद परिणाम सामने आने लगा है.\
कलस्टर बनाकर खेती कराई गई, आया बढ़िया परिणाम
गया में पहली बार मडुआ फसल का बढ़िया उत्पादन हुआ है और किसान भी बेहद खुश दिख रहे हैं. एक एकड़ में 10 से 15 क्विंटल तक मडुवा का उत्पादन हो रहा है. बाजार में इसकी कीमत भी अच्छी है और 60-70 रुपये प्रति किलो इसकी बिक्री हो जाती है. गया जिला कृषि पदाधिकारी अजय कुमार सिंह ने बताया कि गया जिला में किसान पाठशाला चलाकर मोटे अनाज के प्रति किसानों को जागरूक किया गया था. कलस्टर बनाकर खेती कराई गई और अब मडुआ को लेकर सुखद परिणाम सामने आ रहा है.
जिले में करीब 400 एकड़ में मड़आ की हुई खेती
यह पहला मौका है जब प्रयोग के तौर पर कृषि विभाग ने गया जिले में करीब 400 एकड़ में मड़आ की खेती कराई. खासकर पहाड़ी और कम पानी वाले क्षेत्रों के किसानों को इसके लिए प्रेरित किया गया. जुलाई महीने में किसानों को बीज दिया गया था. धान की जगह पर करीब 200 किसानों ने मड़आ की खेती की और आज उत्पादन देखकर खूब खुश हो रहे हैं. जिले के परैया, खिजरसराय, कोंच, आमस सहित कई प्रखंडों के किसान बेहतर उत्पादन देखकर खुश हैं.