शिक्षा विभाग की सख्ती ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का महत्व बढ़ा दिया है। शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित वीडियो कान्फ्रेंसिंग में हर रोज जिले के 1955 प्रधानाध्यापक शामिल हो रहे हैं और स्कूल की रिपोर्ट दे रहे हैं।
शिक्षा विभाग द्वारा प्रत्येक दिन शाम 4:30 बजे से 6:00 बजे तक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की जाती है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में जिला शिक्षा विभाग के सभी पदाधिकारी भी मौजूद होते हैं।
शुरुआत में 20-30 फीसदी प्रिंसिपल होते थे शामिल
शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी ने बताया कि शुरुआत में जब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग शुरू हुई थी तब सिर्फ 20-30 प्रतिशत स्कूल के प्रधानाध्यापक ही इस माध्यम के जरिये जुड़ रहे थे। अब हर रोज 95 प्रतिशत स्कूलों के प्रधानाध्यापक की उपस्थिति रहती है। लगातार हो रहे निरीक्षण का असर अब स्कूलों में दिखने लगा है।
कई प्रधानाध्यापक ने बताया कि शुरुआती दिनों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़ने में काफी दिक्कत होती थी, लेकिन अब आदत हो गई है। इसलिए, सारा डाटा पहले से तैयार करके रखते हैं, जिसे ऑनलाइन प्रस्तुत करना होता है।
इन बिंदुओं पर ली जाती है जानकारी
1. विद्यालय का नाम
2. शिक्षकों की संख्या, उपस्थित शिक्षकों की संख्या
3. अवकाश में रहने वाले शिक्षकों की संख्या
4. नामांकित छात्रों की संख्या, उपस्थिति छात्रों की संख्या
5. विद्यालय में शौचालय की सुविधा
6. एफएलएन किट का उपयोग
7. खेल-कूद की सामग्री का उपयोग
8. प्रयोगशाला का उपयोग
9. विद्यालय में कबाड़ सामग्री की स्थिति
10. विद्यालय प्रबंध समिति की बैठक
11. अभिभावक-शिक्षक बैठक
12. स्कूलों में लाइब्रेरी की स्थिति क्या है, उसमें क्या सुधार हुआ?
13. स्कूलों में एमडीएम को लेकर क्या स्थिति है, जहां पर एमडीएम संचालित है।
14. जिस स्कूलों में कंप्यूटर आधारित लैब है उसकी स्थिति
15. इसके अलावा स्कूल प्रबंधन से जुड़ी अन्य रिपोर्ट
नेट-वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े सामानों के लिए मिले थे नौ लाख रुपये
स्कूलों में नेट लगाने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा निर्देश दिया गया था कि सभी स्कूल अपने विकास शुल्क के माध्यम से या अन्य स्रोत से स्कूलों में 200 एमबीपीएस का नेट लगवाएं ताकि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मदद मिले।
इसके अलावा शिक्षा विभाग की ओर से नौ लाख रुपये कार्यालय में टीवी स्क्रीन के साथ-साथ हाई क्वालिटी की नेट सर्विस उपलब्ध कराने के लिए दिए गए थे।
शिक्षा विभाग के निर्देश पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग होती है। अब अधिकांश स्कूलों के प्रधानाध्यापक वीडियो कॉन्फ्रेसिंग से जुड़ते हैं। यह पूरी तरह से अनिवार्य है। हर दिन रिपोर्ट आने के कारण अब स्कूलों में इसका असर देखने को मिल रहा है। संजय कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी, भागलपुर