बिहार में गांवों के विकास को लेकर तमाम दावे किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर अलग तस्वीर दिखने को मिलती है. बेगूसराय जिला स्थित एक सरकारी स्कूल का फोटो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है. इस तस्वीर में बच्चे अपने हाथों में पठन-पाठन साम्रागी उठाने के बजाए चप्पल उठाए हुए हैं, जो बताने के लिए काफी है कि कितनी मुश्किलों को झेल कर यह बच्चे स्कूल पहुंचते हैं.
यह तस्वीर मॉनसून के दौरान होने वाली बारिश की नहीं है, बल्कि यहां यह नजारा सालों भर दिखने को मिलता है. यह अकेली तस्वीर बिहार की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है. जिले के मंझौल पंचायत में यह विद्यालय है. यहां शिक्षा हासिल करने के लिए आने वाले बच्चों के लिए पढ़ने से ज्यादा स्कूल पहुंचना चुनौतीपूर्ण होता है. ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर खेत वालों से होने वाले विवाद के कारण उन्होंने उनको स्कूल भेजना बंद कर दिया है.
जान जोखिम में डाल कर पढ़ने स्कूल आते हैं बच्चे
मामला बेगूसराय जिला मुख्यालय से तकरीबन 20 किलोमीटर दूर मंझौल अनुमंडल मुख्यालय के समीप मंझौल पंचायत की है. बच्चों को शिक्षा उपल्ब्ध कराने के लिए वर्ष 2007 में स्थानीय केदार प्रसाद सिंह के द्वारा भूमि दान करने के बाद सरकारी योजना से स्व. फुलेना सिंह पहलवान उत्क्रमित मध्य विद्यालय मुर्गी फार्म बढ़कुरवा बनाया गया. 2007 से हीं यह स्कूल संचालित हो रहा है. प्रत्येक वर्ष इस स्कूल में औसतन 160 बच्चे पांचवीं तक की पढ़ाई करते हैं. इस वित्तीय वर्ष में 165 बच्चों को पढ़ाने के लिए 6 शिक्षकों को जिम्मेदारी दी गई है.
कठिन डगर को पार कर पढ़ने के लिए स्कूल आने वालीरागनी कुमारी, रोहन राज सहित अन्य बच्चों ने बताया कि विद्यालय आते वक्त चप्पल को हाथ में और किताब-कॉपी को सिर पर लेकर आना पड़ता है. ऐसे में कई बार गिर जाने के कारण कॉपी-किताब भी गीला हो जाता है. यहां पढ़ने वाले बच्चे की मां ममता देवी ने बताया कि स्कूल जाते वक्त कई बच्चे मकई के खेत से होकर जाते हैं. इसके लिए खेत वाले शिकायत करते हैं. बच्चे कई बार गिर भी जाते हैं. इसलिए बच्चों को स्कूल जाने से मना कर देते हैं.
जिम्मेदार तक शिकायत पहुंचाने के बाद भी निदान नहीं
विद्यालय के प्रधानाध्यापक (प्रिंसिपल) डॉ. मोहन कुमार ने बताया कि इस समस्या की शिकायत लिखित रूप से शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ स्थानीय विधायकों से भी की गई है, लेकिन अब तक निदान नहीं हो पाया है. निदान के लिए सरकार से भी अपील कर रहे हैं.