रामचरितमानस को लेकर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विवादित बयान से रामनगरी के संतों का आक्रोश भड़क गया है। तपस्वी छावनी के महंत जगदगुरु परमहंस आचार्य ने मंत्री की जीभ काट कर लाने वाले को दस करोड़ रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि ऐसे मंत्री को तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए।
रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी से संतों में बढ़ा आक्रोश
परमहंस आचार्य ने इंटरनेट मीडिया पर अपनी एक पोस्ट में कहा कि पूरा देश मंत्री के बयान से आहत है। उन्होंने मंत्री से अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगने को कहा है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस एक ऐसी पुस्तक है जो लोगों को जोड़ती है और मानवता की स्थापना करती है। रामजन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने भी इस बयान पर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि अगर मंत्री के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो साधु चुप नहीं रहेंगे।
अयोध्या कोतवाली में मंत्री के विरुद्ध FIR दर्ज
वहीं, अखिल भारतीय पंच तेरह भाई त्यागी खाक चौक व संकट मोचन हनुमान किला के महंत परशुराम दास के नेतृत्व में अयोध्या कोतवाली पहुंच कर मंत्री के विरुद्ध तहरीर दी और प्राथमिकी दर्ज कर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। महंत परशुरामदास ने बताया कि रामचरितमानस पर संदेह करना हमारे आराध्य प्रभु श्रीराम पर संदेह करना है और हम इसे कतई नहीं बर्दाश्त कर सकते। उन्होंने कहा, चंद्रशेखर को शिक्षा मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहने का अधिकार नहीं है।
CM नीतीश से की मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग
आगे उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह किया कि वह तत्काल प्रभाव से अपने मंत्रिमंडल से चंद्रशेखर को निष्कासित करें और उन पर गैर जिम्मेदाराना एवं अनर्गल बयान के लिए कार्रवाई करें। तहरीर देने वालों में सीता वल्लभ कुंज के अधिकारी छविरामदास, कथावाचक मधुसूदन आचार्य, स्वामी मानसदास, महंत नरसिंहदास, महंत अर्जुनदास, दिगंबर शास्त्री, शारदा शास्त्री, दिव्यांशु महाराज आदि हैं।