बिहार के लाल का कमाल, धान की भूसी से बना दी ईंट, टिकाऊ होने के साथ मजबूत भी

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मुजफ्फरपुर के एमआईटी के छात्र तो हमेशा से कमाल करते ही रहे हैं, अब यहां के एक असिस्टेंट प्रोफेसर आकाश प्रियदर्शी ने भी कमाल का काम किया है.फसल से निकले अपशिष्ट का प्रबंधन कर वे अब ईंट बनाने का काम किए हैं. इसकी सभी जगह प्रशंसा हो रही है. दरअसल, उन्होंने धान से निकलने वाली भूसी से ईंट बनाना शुरू किया है.

आकाश कहते हैं कि धान की बची हुई भूसी को जलाकर उसका राख तैयार किया जाता है. इस राख में चूना मिलाकर वेस्ट मैनेजमेंट के तहत ईंट तैयार की जाती है. आकाश प्रियदर्शी कहते हैं यह ईंट बाजार में मिलने वाली ट्रेडिशनल ईंट की तुलना में उतनी ही टिकाऊ है, जितनी की अन्य ईंट.

टिकाऊ होने के साथ मजबूत भी
आकाश ने बताया कि आमतौर पर लोग धान की बची हुई भूसी को किसी अन्य काम में इस्तेमाल नहीं करते हैं. ऐसे में यह भूसी बेवजह बर्बाद हो जाती थी. धान की भूसी का इस्तेमाल कर ईंट तैयार करने से यह ईंट बेहद मजबूत होने के साथ-साथ घर बनाने के लिए टिकाऊ भी है. आकाश प्रियदर्शी ने इस ईंट का पेटेंट भी कराया है. आकाश कहते हैं कि यह ईंट बेहद कारगर और मजबूत है. इसके इस्तेमाल से घर की मजबूती भी बरकरार रहेगी. सिविल इंजीनियर होने के नाते उन्होंने अपनी टीम के साथ इस ईंट की मजबूती को परखा है.

घर बनाने में किया जाएगा इस्तेमाल
आकाश कहते हैं कि इसे बनाने से पहले इसके अधिक स्ट्रैंथ को भी नापा गया. इस ईंट को बनाने में इसकी मजबूती का पूरा ध्यान रखा गया है. आकाश कहते हैं इस ईंट को बनाने के लिए उन्होंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी हरियाणा के विकास कुमार और एनआईटी जालंधर के छात्र रह चुके कुलदीप से मदद ली है. आकाश ने बताया यह ईंट पेटेंट होने के बाद आगे घर बनाने के इस्तेमाल में लाया जाएगा.

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