मधुबनी के खजौली प्रखंड अंतर्गत चंद्र बाघा नदी किनारे दुखहरण बाबा का मंदिर है. नदी किनारे होने के कारण मंदिर का दृश्य और भी मनभावन और सुहाना हो जाता है.
इस मंदिर में दुखहरण बाबा के साथ-साथ माता राजेश्वरी का भी स्थान है. भक्तों की मान्यता है कि इस मंदिर में आकर जो भी अपने दुख बाबा भोले और माता राजेश्वरी के सामने रखता है, वह दूर हो जाता है.
चंद्र बाघा नदी के किनारे स्थित होने के कारण मंदिर आने पर लोगों को असीम शांति की अनुभूति होती है. नदी की कलकल धारा, उस पर पड़ती सूर्य की रोशनी और मंदिर की मनोहारी छटा, भक्तों को घंटों यहां बैठने के लिए मजबूर कर देती है.
इस मंदिर में एक शिलालेख वर्षों से रखा है. इस पर लिखी गई भाषा का अब तक किसी को कुछ पता नहीं चल पाया है. स्थानीय लोगों की मानें तो कई बार विशेषज्ञों ने इस पर लिखे शब्दों को पढ़ने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे.
मंदिर प्रांगण में रोजाना कथा कही जाती है. इसमें ग्रामीणों के अलावा आसपास के गांव के भी लोग शामिल होते हैं और धर्म व अध्यात्म से जुड़ी कथा-कहानी सुनते हैं.