बिहार के इस लाल ने किया कमाल, महज 22 साल की उम्र में बने ISRO के वैज्ञानिक, जश्न में डूबा पूरा गांव

जानकारी प्रेरणादायक

बिहार के बक्सर जिले के लाल आशीष भूषण सिंह ने अपनी कठिन परिश्रम के बल पर इसरो में वैज्ञानिक बनकर परिवार और गांव सहित पूरे जिले का नाम रोशन किया है. आशीष जिले के ब्रह्मपुर गांव निवासी हैं. उनके पिता भारत भूषण सिंह रघुनाथपुर व्यापार मंडल के अध्यक्ष हैं. आशीष महज 22 वर्ष की उम्र में इतनी बड़ी कामयाबी को हासिल कर युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बना है. आशीष की सफलता पर गांवमें खुशी का माहौल है. घर-परिवार के लोग गांवमें मिठाई बांट रहे हैं.

आशीष के पिता भरत भूषण सिंह ने बताया कि उनके बेटे ने वैज्ञानिक बनकर न केवल परिवार का मान सम्मान बढ़ाया है बल्कि जिले को गौरवान्वित किया है. उन्होंने बताया कि आशीष बचपन से ही मेधावी छात्र रहा है. उन्होंने बताया कि आशीष का चयन इसरो के अंतरिक्ष विज्ञानी ग्रुप ए में हुआ है. उन्होंने बताया कि चयन के बाद उनका बेटा केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित इसरो में योगदान दे चुका है. उन्होंने बताया कि जब सेलेक्शन की खबर मिली तो पूरा परिवार खुशी से झूम उठा.

उन्होंने बताया कि जब चयन हुआ तो आशीष ने इच्छा जताई कि कार्यस्थल तक पहुंचने के लिए उसे माता-पिता साथ में चले. जिसके बाद दोनों दम्पति बेटे को छोड़ने तिरुवनंतपुरम तक गए. पिता ने बताया कि पहली बार ब्रह्मपुर गांवका कोई बेटा इसरो के वैज्ञानिक के रूप में चयनित हुआ है. जिससे बधाई देने वाले लोगों का तांता लगा हुआ है.

 

पिता ने बताया कि आशीष भूषण सिंह बचपन में कुछ साल तक गांवपर रहा. इसके बाद उसका नामांकन पटना के लोयला स्कूल में करा दिया गया. वहीं से प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत की. इसके बाद सत्यम इंटरनेशनल स्कूल गौरीचक पटना से मैट्रिक और इंटर की पढ़ाई पूरी की.

इसरो द्वारा चंद्रयान मिशन से प्रेरणा लेकर आशीष इसरो में जाने का अपना लक्ष्य तय कर लिया. इस बीच बीएचयू के आईआईटी में चयन होने के बाद भी उसने नामांकन नहीं लिया और इसी परीक्षा के आधार पर भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवंतपुरम में दाखिला लिया.

वहीं से स्पेस साइंस में बीटेक की पढ़ाई पूरी की और वर्ष 2022 में गेट की परीक्षा में भी शामिल होकर कामयाबी हासिल कर ली. गेट परीक्षा की सफलता के बाद इसरों में जाने का रास्ता साफ हो गया. पिता ने बताया कि आशीष बचपन से ही मेधावी था और इसरो में वैज्ञानिक बनने का लक्ष्य तय कर लिया था.

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