बिहार में कोरोना काल के समाप्त होने के बाद सामान्य जनजीवन और कार्यों को गति देने तथा आंगनबाड़ी केंद्रों के अमूमन बंद रहने की शिकायतों को दूर करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों की औचक जांच की जाएगी। समेकित बाल विकास निदेशालय के कार्यपालक निदेशक आलोक कुमार के अनुसार बंद पाए जाने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों के कर्मियों एवं संबंधित बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों (सीडीपीओ) के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इसके लिए मुख्यालय स्तर व जिला स्तर पर आंगनबाड़ी केंद्रों का औचक जांच कराने का निर्णय लिया गया है। कार्यपालक निदेशक कुमार ने बताया कि नियमित रूप से सभी आंगनबाड़ी केंद्रों की जांच की जाएगी। मुख्यालय स्तर से पदाधिकारी किसी भी जिले में अचानक निकलेंगे और किसी भी आंगनबाड़ी केंद्र पर पहुंचकर जांच करेंगे। इसकी पूर्व से जानकारी संबंधित सीडीपीओ या अन्य कर्मियों को नहीं दी जाएगी।
औचक जांच करने वाले पदाधिकारियों को एक निर्धारित फॉर्मेट दिया जाएगा। जिसके आधार पर आंगनबाड़ी केंद्रों के प्राय: बंद रहने या प्रतिदिन खुलने व बंद होने से संबंधित समय की जांच करेंगे। आंगनबाड़ी केंद्रों के आसपास की आबादी में जाकर वहां उपलब्ध करायी जा रही सेवाओं की भी जानकारी लेंगे। दूसरी ओर, जिला प्रशासन के स्तर से अपर समहर्ता स्तर के पदाधिकारी भी आंगनबाड़ी केंद्रों की औचक जांच करेंगे।
कुमार ने बताया कि मुख्यालय से औचक जांच को लेकर गए पदाधिकारी अपनी रिपोर्ट सीधे मुख्यालय में देंगे। वहीं, जिला स्तरीय पदाधिकारी अपनी जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यालय को उपलब्ध कराएंगे। इन जांच रिपोर्टों के आधार पर संबंधित सीडीपीओ, आंगनबाड़ी सहायिका एवं सेविका, आंगनबाड़ी पर्यवेक्षिका पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
99 लाख बच्चे हैं आंगनबाड़ी केंद्रों में नामांकित
बाल विकास परियोजना निदेशालय के सूत्रों के अनुसार राज्य में राज्य में 1.14 लाख आंगनबाड़ी केंद्र हैं। जिनमें 1.12 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जा रहा है। इन आंगनबाड़ी केंद्रों में करीब 99 लाख बच्चे नामांकित हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से छोटे बच्चों एवं गर्भवती एवं शिशुवती महिलाओं की देखभाल को लेकर क्रियान्वित योजनाओं की औचक जांच के दौरान समीक्षा की जाएगी।
बिहार में कुल संचालित आंगनबाड़ी केंद्र – 1.12 लाख
आंगनबाड़ी केंद्रों में नामांकित बच्चे – 99 लाख
आंगनबाड़ी सहायिका एवं सेविका – 2.10 लाख