बिहार के छह शहरों की हवा बहुत खतरनाक हो गई है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की ओर से जारी देशभर के 177 शहरों में बिहार के छह शहर सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं। पराली जलाने और धुंध बढ़ने को इसका प्रमुख कारण माना जा रहा है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक के मुताबिक देश भर में प्रदूषित शहर के मामले में मोतिहारी पहले स्थान पर है। मोतिहारी का सूचकांक 425 है। वहीं दिल्ली जो अभी गैस चेम्बर में तब्दील हो चुकी है, उसका सूचकांक 341 है। राज्य के छह शहरों में जिसकी हवा खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। उसमें मोतिहारी, बेतिया, दरभंगा, बक्सर, बेगूसराय, छपरा, कटिहार, पूर्णिया, सहरसा, दरभंगा शामिल हैं। यहां की हवा इतनी दूषित हो चुकी है कि अब सांस लेना मुश्किल हो गया है। इससे सांस के मरीजों को मुश्किल होने लगी है।
सुपर डस्ट मानक से हुआ 7 गुना अधिक
पीएम 2.5 यानी श्वसन योग्य महीन धूलकण(सुपर डस्ट) का मानक है 60 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर। तय मानक से अधिक धूलकण अगर हवा में जमा है तो उसे प्रदूषित हवा माना जाता है। मोतिहारी समेत जिन शहरों की हवा बहुत खराब हो चुकी है उसमें कटिहार, बेगूसराय, छपरा, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और सीवान, दरभंगा का सूचकांक 350 से अधिक है। पटना का 280 है। इन शहरों में पीएम 10 और पीएम 2.5 यानी महीन और मोटे धूलकण की मात्रा मानक से सात गुना अधिक हो चुकी है। जिसके कारण परिवेशीय वायुमंडल पूरी तरह से दूषित हो चुका है।
धुंध बढ़ने पर ऊपर नहीं जा पाता है धूलकण
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि तापमान में गिरावट और ठंड के कारण धूलकण समेत अन्य प्रदूषण के तत्व वायुमंडल में ज्यादा ऊंचाई तक नहीं जा पाता है। जिसके कारण धुंध जैसी स्थिति बनती है। जाड़े के मौसम के कारण वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ जाती है। जैसे ही तापमान में बढ़ोतरी होती है वायु प्रदूषण कम होने लगता है। तापमान कम होने से धूलकण और अन्य प्रदूषण के कण वायुमंडल के निचले स्तर में जिसे परिवेशीय वायुमंडल कहते हैं वहां जमा होने लगते हैं। ऐसे में अधिकतम 50 मीटर की ऊंचाई तक धुंध और कण पदार्थ जमे रहते हैं। जिसके कारण प्रदूषण की समस्या बढ़ जाती है। पिछले कुछ दिनों में तापमान में कमी आने के कारण धूलकण वायुमंडल की निचली परत में मानक से सात गुना अधिक सुपर डस्ट यानी महीन धूलकण जमे हुए हैं।
सीवान में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ीं
सीवान में प्रशासन की तमाम सख्ती के बावजूद पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं। विशेषकर गुठनी, सिसवन व रघुनाथपुर व दरौली समेत कई प्रखंडों में खुलेआम पराली जलाई जा रही है। इसी का असर प्रदूषण के स्तर पर दिख रहा है। सांस से संबंधित दमा व अस्थमा के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। शहर के चित्रगुप्त नगर मुहल्ले में सबसे अधिक प्रदूषण का स्तर पाया जा रहा है। यही नहीं, फसल अवशेषों के जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ने की वजह से मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु व केंचुआ आदि मर रहे हैं।
देश भर के टॉप 10 प्रदूषित शहर
शहर सूचकांक
मोतिहारी 425
बेतिया 408
दरभंगा 397
बेगूसराय 390
बक्सर 387
सहरसा 367
गुरुग्राम 358
जींद 345
दिल्ली 341
ग्वालियर 330
पटना 280
नोट- AQI के किस रेंज का आपके लिए क्या मतलब, नीचे टेबल चेक कर लें
AQI का रेंज | हवा का हाल | स्वास्थ्य पर संभावित असर |
0-50 | अच्छी है | बहुत कम असर |
51-100 | ठीक है | संवेदनशील लोगों को सांस की हल्की दिक्कत |
101-200 | अच्छी नहीं है | फेफड़ा, दिल और अस्थमा मरीजों को सांस में दिक्कत |
201-300 | खराब है | लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर किसी को भी सांस में दिक्कत |
301-400 | बहुत खराब है | लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर सांस की बीमारी का खतरा |
401-500 | खतरनाक है | स्वस्थ आदमी पर भी असर, पहले से बीमार हैं तो ज्यादा खतरा |