बिहार ने खो दिया इस गणीतज्ञ को, वैज्ञानिक का लोहा मान चुके हैं दुनियाभर के स्कॉलर

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पटना: 29 वर्ष के भारतीय गणितज्ञ एवं मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (एमआईटी बॉस्टन) के साइंटिस्ट बसंत विवेक सागर का सोमवार रात्रि करीब 10 बजे, उनके गृहशहर पटना में निधन हो गया।

दुनिया की नंबर एक इंजीनियरिंग संस्थान मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बोस्टन के एक प्रसिद्ध छात्र, बसंत वर्तमान में बॉस्टन स्थित टेक्नोलॉजी कंपनी ब्राइटक़्वान्ट के चीफ साइंटिस्ट एवं सीईओ के रूप में सेवा कर रहे थे।

बसंत आधुनिक बिहार राज्य से पहले स्कॉलर थे जिन्हें पूरी छात्रवृत्ति पर एमआईटी बॉस्टन जाकर स्नातक की डिग्री पाने का प्रस्ताव मिला। वह अभी तक इस उपलब्धि को पाने वाले बिहार से एकमात्र छात्र हैं। एक वैज्ञानिक, गणितज्ञ और पॉलीमैथ बसंत को अपने रिसर्च के लिए दुनिया भर में सम्मानित किया गया। एमआईटी बोस्टन और दुनिया भर के सैंकड़ो साइंटिस्ट् एवं स्कॉलर बसंत को जीनियस के रूप में देखते थे।

बिहार के छोटे शहरों और गांवों में पले बसंत को 13 साल की उम्र में पहली बार स्कूल जाने का अवसर प्राप्त हुआ। बसंत ने अपने छोटे परन्तु असामान्य जीवन काल में कई आर्थिक, प्रणालीगत एवं संस्थागत बाधाओं को पार किया और दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई।

वर्ष 2007 में बसंत सागर को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के संरक्षण में पीपल टू पीपल लीडरशिप शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया था। 2010 में सागर को नासा के प्रशासक चार्ल्स एफ बोल्डन जूनियर द्वारा कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा के लिए अंतरिक्ष नीति के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया गया था।

बसंत जिन्होंने खुद से उच्चस्तरीय गणित एवं विज्ञान की पढ़ाई की, केवल 14 वर्ष के थे, जब उन्हें नासा द्वारा एक छात्र वैज्ञानिक के रूप में चुना गया था और इस उपलब्धि के लिए उन्हें प्रसिद्ध प्लैनेटरी सोसायटी की मानद सदस्यता प्राप्त हुई। 2003 में 14 वर्षीय सागर के बारे में लिखते हुए भारत का प्रमुख राष्ट्रीय अखबार द पायनियर ने लिखा – “जिस समय इनके क्लास के बच्चे धरती माता का पाठ अपने भूगोल के पाठ्यपुस्तक में पढ़ते हैं, बसंत अंतरिक्ष की सैर कर रहे हैं और मार्स पर जीवन के संकेतों की तलाश में हैं।”

पटना में हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी कर बसंत बिहार से 4 करोड़ की छात्रवृत्ति पर दुनिया की नंबर एक इंजीनियरिंग संस्थान मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बोस्टन जाकर पढ़ने वाले पहले व्यक्ति बने। बसंत बिहार से इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाले एकमात्र छात्र हैं।

2007 से 2011 तक एम्आईटी बॉस्टन में बसंत एक अभूतपूर्व छात्र एवं स्कॉलर रहे । बसंत द्वारा किये गए रिसर्च को यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस, एमआईटी, नासा और अन्य प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा उपयोग किया गया। बसंत ने एम्आईटी के प्रतिष्ठित मैथ मेजर मैगज़ीन की स्थापना की और उसके प्रबंध संपादक रहे।

वह एम्आईटी अंडरग्रेजुएट मैथ एसोसिएशन के चेयरमैन, एम्आईटी स्टूडेंट्स फॉर एक्सप्लोरेशन ऑफ़ स्पेस के डायरेक्टर एवं एम्आईटी क्विडडिच के संस्थापक रहे। बसंत ने संगीत, चिकित्सा और गेमिंग के क्षेत्रों में अग्रणी टेक्नोलॉजी का अविष्कार किया।

अपने अभूतपूर्व रिसर्च एवं नेतृत्व के कारण बसंत ने अपने जीवनकाल में कई दिग्गजों से मुलाकात की, उनके साथ काम किया एवं उनकी प्रशंसा पाई। इनमें से कुछ नाम हैं इलोन मस्क, बिल गेट्स एवं कई नोबेल पुरस्कार विजेता, नासा के साइंटिस्ट, जाने माने अकादमिक एवं मशहूर उद्योगपति एवं अरबपति।

एमआईटी के इतिहास में सबसे सफल छात्रों में से एक के रूप में स्नातक होने के बाद बसंत ने करोड़ों की नौकरी के प्रस्तावों को ठुकरा दिया और विश्वस्तरीय साइंटिस्ट और स्कॉलरों की टीम को इक्कट्ठा कर अपनी खुद की रिसर्च टेक्नोलॉजी कंपनी ब्राइटक़्वान्ट की शुरुआत की।

बसंत सागर एक भारतीय नायक हैं जिन्होंने मानव जाति के लाभ के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने भारत की सच्ची निष्ठा से सेवा की और देश को कई बार गौरवान्वित किया। बिहार और देश भर में लाखों बच्चों के लिए आदर्श के रूप में सामने आये।

आज हम अपने देश के एक रत्न को खोने का शोक मानाने के साथ उनके असाधारण एवं अद्वितीय जीवन को सलाम करते हैं और गर्व महसूस करते हैं कि उनका जीवन दुनिया भर के युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल होगा और हमें प्रेरित करेगा कड़ी मेहनत कर अपने सपनों को सच करने के लिए, अपनी सीमाओं को पार करने के लिए और खुद से बढ़ कर मानव जाती की निस्वार्थ सेवा करने के लिए।

बसंत एम्आईटी बोस्टन में एक आइकॉन थे जहाँ उन्होंने एक छात्र और एक स्कॉलर के रूप में उच्चतम सफलता के स्तरों को हासिल किया। उनके काम का कई क्षेत्रों पर प्रभाव रहा एवं उन्होंने इन क्षेत्रों में हो रहे रिसर्च को दिशा दिखाई, सबसे अहम स्पेस साइंस और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में।

बसंत दुनियाभर में कई दोस्तों को पीछे छोड़ गए हैं लेकिन उनका काम इन सहकर्मियों और मित्रों के साथ-साथ उनके साथी शोधकर्ताओं, प्रतिष्ठित प्रोफेसरों और उनके शिक्षार्थियों के माध्यम से जारी रहेगा।

बसंत के पिता श्री बिमल कांत प्रसाद हैं, जिन्होंने 2016 में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से वॉलन्टरी रिटायरमेंट (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) लिया और वर्तमान में डेक्सटेरिटी ग्लोबल के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं।

बसंत की छोटी बहन बरसा ने मई 2016 में अमेरिका के प्रतिष्ठित कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पूरी छात्रवृत्ति पर स्नातक पूरा किया और पर्यावरण नीति और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में काम करती हैं। उनके छोटे भाई शरद सागर मशहूर फ़ोर्ब्स पत्रिका के 30 अंडर 30 में सूचित विश्व प्रसिद्ध सामाजिक उद्यमी हैं।

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