पटना: बेटियों को आसमान मिले तो वो अपने हौसलों की उड़ान से पूरे आसमान को अपनी मुट्ठी में भर सकती हैं। हमारे देश के विदेश मंत्रालय का कमान संभाल रही हैं सुषमा स्वराज तो देश के प्रमुख विभाग रक्षा मंत्रालय अब निर्मला सीतारमण के जिम्मे है। एेसे में आज हमारे देश को अपनी बेटियों पर नाज है।
चाहे कोई भी विधा हो बेटियों ने हर जगह अपनी मजबूत स्थिति दर्ज की है। बिहार की भी कुछ एेसी ही बेटियां हैं जिन्हें देश और दुनिया सलाम कर रही है। जानिए बिहार की कुछ एेसी ही बेटियों की कहानी….
विंध्यवासिनी देवी
मुजफ्फरपुर में जन्मी विंध्यवासिनी देवी को बिहार कोकिला कहा जाता है। उनकी शादी मात्र सन 14 वर्ष की उम्र में ही हो गयी थी और सन 1945 में जब वे पटना आयीं तो पति ने ही उन्हें संगीत सिखाया और वो गानें लगीं।एक घटना ने उनका जीवन ही बदल दिया। जब पहली बार किसी ने मुझसे कहा कि बिहार के लोग खाना जानते हैं, गाना नहीं तो वो बात उनके मन को चुभ गयी, बस तभी से उन्होंने लोकगीत गाने की मन में ठान ली।
1955 में आकशवाणी केंद्र, पटना में लोकसंगीत-प्रोड्यूसर के पद पर कार्यरत हुईं तो उन्होंने बिहार की सभी बोलियों पर काम किया। विन्ध्यवासिनी देवी ने बिहार के सभी लोक भाषाओं पर काम किया था और उसे अंतर्राष्ट्रीय मंच तक भी ले गई थी। आकाशवाणी में कार्यक्रम प्रमुख भी रही और 1974 में उन्हें पद्मश्री से नवाज़ा गया।
सोनाक्षी सिन्हा
बॉलीवुड में बिहारी ब्लड का सबसे हिट नाम हैं सोनाक्षी सिन्हा। फैशन डिजाइनिंग करते हुए सोनाक्षी ने बॉलीवुड में एंट्री ली और रज्जो के कैरेक्टर ने उन्हें दबंग बना दिया। सलमान के साथ दबंग तो अक्षय के साथ राउडी राठौर और जोकर से सोनाक्षी बॉलीवुड की नई सेंसेशन बन चुकी है।
रतन राजपूत (लाली)
रतन राजपूत छोटे पर्दे का एक जाना पहचाना नाम है। टीवी सीरियल अगले जनम मोहे बिटिया ना कीजो की ललिया सबके मानस पटल पर आज भी छाई है। रतन राजपूत का जन्म 20 अप्रैल 1987 को हुआ था। रतन राजपूत की एक विशेषता यह है कि छठपर्व में वो पटना आती हैं और घरवालों के साथ खुद भी छठ की पूजा करती हैं।
हैंडबॉल टीम की कैप्टन बनी खुशबू
बिहार की महिला हैंडबॉल टीम की कैप्टन ख़ुशबू के, जिनके खेलने पर परिवारवालों ने दो साल पहले बंदिश लगा दी थी। मगर अब वह उज्बेकिस्तान के ताशकंद में 23 सितंबर से 2 अक्तूबर तक होने जा रही एशियन विमन क्लब लीग हैंडबॉल चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगी।
ख़ुशबू मूलत: बिहार के नवादा जिले के नारदीगंज प्रखंड के भदौर गांव की रहने वाली हैं हैं। उनके माता-पिता पटेल नगर में रहते हैं। पिता अनिल कुमार आटा चक्की चलाते हैं और इसी से परिवार का गुज़ारा चलता है।