सेना में लेफ्टिनेंट बनी बिहार की बेटी, सूबेदार पिता का सीना हुआ गर्व से चौड़ा

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अपने पिता से यदि बड़ी लकीर खींचने में संतान सफल हो जाता है तो दुनिया का हर बाप अपने आप को सौभाग्यशाली समझता है।

क्योंकि ऐसे मौके बहुत कम लोगों के जिंदगी में आते हैं। सारण जिले के पानापुर प्रखंड के रामपुर रूद्र के सेना में अधिकारी अनिल कुमार सिंह की बेटी अंकिता सिंह ने आर्मी में अपने पिता से बड़ा अधिकारी बन बाप के छाती को गर्व से चौड़ा कर दिया है।

इस मुकाम पर पहुंचने पर पिता कह रहे है कि दुनिया में भगवान सबको ऐसी बेटी जरूर दें जो अपने कुल वंश व गांव का नाम रोशन करे। आर्मी में पिता अनिल कुमार सिंह सूबेदार मेजर तैनात हैं।

जबकि 22 वर्षीया बेटी अंकिता सिंह आर्मी में ही लेफ्टिनेंट के पद पर कार्यरत है। लेफ्टिनेंट अंकिता सिंह ने चार वर्षों तक कमांडो अस्पताल लखनऊ में प्रशिक्षण प्राप्त की। उसके बाद 17 जून को सैनिक अस्पताल दार्जिलिंग में पहली पोस्टिंग हुई।

बचपन से ही अंकिता पढ़ने-लिखने में मेधावी थीं। अंकिता ने केंद्रीय विद्यालय फतेहगढ़ से मैट्रिक-इंटर की परीक्षा अच्छे अंकों से पास की। जबकि उन्होंने बीएससी की डिग्री जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा से ली।

सूबेदार मेजर अनिल कुमार सिंह को दो बेटियां ही हैं। उनकी छोटी बेटी लेफ्टिनेंट अंकिता सिंह हैं। जबकि छोटी बेटी शैलजा सिंह इंजीनियर हैं।

 

अनिल कुमार सिंह कहते हैं कि मैंने बेटियों को कभी भार नहीं समझ। उन्हें पढ़ने-खेलने की पूरी आजादी दी। अपने कैरियर का चुनाव भी दोनों बेटियों ने अपने मन से की।

वे बेटियों की सफलता का श्रेय पत्नी प्रमिला सिंह को देते हैं। वे पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि बेटियों से सिर्फ रविवार को ही बातचीत होती थी।

क्योंकि जब मैं ड्यूटी से लौटता था तो कभी बेटियां स्कूल गईं होती थीं ।

अंकिता के साथ ही परौना गांव के सुशील कुमार सिंह का पुत्र शुभम कुमार थल सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं। इससे प्रखण्ड में खुशी की लहर है।युवक के पिता झारखण्ड के सिमडेगा में प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी हैं।

युवक की शिक्षा-दीक्षा रांची में ही हुआ है।वह वर्ष 2013 में एनडीए की परीक्षा उत्तीर्ण हुआ है।वर्ष 2017 में थल सेना में लेफ्टिनेंट बन गया।यह खबर सुनते ही युवक के पैतृक गांव परौना में खुशी की लहर है।

 

युवक के 70 वर्षीय बाबा राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने बताया कि उनके परिवार की सेना की कोई पृष्ठ भूमि नही रही है। लेकिन शुभम को बचपन से देश सेवा करने का शौक था।

पड़ोसी बताया कि पूरे प्रखण्ड को शुभम पर नाज है। इससे प्रखंड का नाम रौशन हुआ है।

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