सड़क किनारे गुमटी में किराना का दुकान चलाने वाले अजय साह भी अपने बेटे की सफलता से गदगद हैं। अजय ने कहा कि जब खेलने-कूदने की उम्र में नंदलाल के दोनों हाथ कट गया, तो हमलोगों ने हिम्मत ही हार दी। हाइ वोल्टेज तार की चपेट में आने के बाद भी बेटे की जान बच जाने की खुशी थी।
वहीं, यह गम भी सता रहा था कि अब इसका पूरा जीवन कैसे कटेगा। लेकिन, पांच वर्ष की उम्र से ही वह आसपास के बच्चों को पढ़ते जाते देख पढ़ने की जिद करने लगा। पैर से ही सिलेट पर वह लिखने लगा। तब हमलोगों ने भी उसका उत्साह बढ़ाना शुरू कर दिया।