बिहार में भूकंप आने के बाद से इस जोन में आने वाले जिलों में लोग शनिवार को सतर्क और डरे थे. इसका केंद्र नेपाल था. पूर्णिया के मौसम विभाग के अधिकारी राकेश कुमार कहते हैं कि एटलस के माध्यम से जो पूर्वी कोसी-सीमांचल का क्षेत्र अररिया, किशनगंज, सुपौल, मधुबनी और दरभंगा का हिस्सा जोन 5 में आता है. जबकि सहरसा का 50% और मधेपुरा का 50% हिस्सा और पूर्णिया का अधिकतर हिस्सा जोन 4 में आता है. लेकिन पूर्णिया का कुछ हिस्सा जोन 5 में आता है. जोन 4 भी हार्ड इमेज रिस्क जोन है.
जोन 5 में इसकी संभावना इससे कई गुना ज्यादा है और अधिकतम हैं. इस जोन में भूकंप की तीव्रता 5 से लेकर 9 तक हो सकती है. जोन 4 में अधिकतम तीव्रता 6.4 तक जा सकती हैं.
जोन 4 और 5 में नहीं हुआ असर
उन्होंने कहा कि नेपाल के भीमनगर के आसपास जो भूकंप आया है, उसकी तीव्रता 6.4 थी. उसका डेप्थ जो 10 किलोमीटर था. पश्चिम बिहार, दक्षिणी बिहार एवं उत्तरी इलाकों में भूकंप के झटके महसूस हुए. लेकिन इस भूकंप के झटके पूर्णिया या हिमालय क्षेत्र में देखने को नहीं मिला. दूरी ज्यादा होने के कारण यहां के लोगों को भूकंप के झटके का एहसास भी नहीं हुआ. इसका रेडियस लगभग 5 किलोमीटर ही रहा.
मौसम में होगा बदलाव
उन्होंने कहा इस भूकंप के होने के बाद प्रत्यक्ष रूप से कुछ बदलाव देखने को मिलेगा. पश्चिमी छोर से पछुवा हवा चलेगी. जिस कारण से तापमान में गिरावट होगी और ठंड पड़ेगी. लोगों को परेशानी हो सकती है. हालांकि उन्होंने कहा कि इससे पहले पूर्णिया में जब भूकंप आया तो उसका कोई रिकॉर्ड पूर्णिया के इस मौसम कार्यालय में दर्ज नहीं है. यहां पर भूकंप नापने के लिए कोई खास मशीन भी नहीं है.
पहला झटका आने के बाद रहें सतर्क
अभी भूकंप के बारे में कुछ कह नहीं सकते और ना ही इसकी संभावना लगाई जा सकती है. यह प्राकृतिक आपदा से जुड़ा होता है. भूकंप का पहला झटका आने के बाद लोग सतर्क हो जाते हैं और यह झटके आने की संभावना रहती है. यह झटका कई चार-पांच झटके अलग-अलग हिस्सों अलग-अलग जगह में आएगा और इस दौरान लोगों को सतर्क रहना चाहिए.
उन्होंने कहा कि कभी-कभार ऐसे भी होते हैं भूकंप में दो दिनों तक झटका लोगों को महसूस होता है.जबकि कुछ वर्ष पहले पटना में भूकंप आया था, जिसके कारण दो दिनों तक लोगों को भूकंप के झटके महसूस हो रहे थे.