Bharat के तीनों सर्वोच्च पदों पर स्वयंसेवक
वेंकैया नायडू की जीत के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। आजादी के बाद ये पहला मौका है जब Bharat के तीनों सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर RSS के स्वयंसेवक काबिज हैं।
उपराष्ट्रपति के पद पर वेंकैया नायडू की जीत ने संघ के सपने को साकार कर दिया है। आज की तारीख में देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति निर्वाचित वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघ के आंगन से निकले हुए स्वयंसेवक हैं। इतना ही नहीं भारत के सर्वोच्च पदों पर तीनों आसीन शख्सियतों की जिंदगी भी एक दूसरे से काफी मिलती जुलती है। इन तीनों नेताओं की जिंदगी के उन पहलूओं पर नजर डालते हैं जहां काफी कुछ एक जैसा दिखता है।
ये तीनों ही नेता काफी सामान्य पारिवारिक पृष्ठभूमि से आए हैं। इनकी तीनों की जिंदगी काफी मुफलिसी में गुजरी है। Bharat के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जीत के बाद कहा था कि उनका बचपन फूस के घर में बीता। इसी तरह पीएम मोदी कहते रहे हैं कि बचपन में वे चाय की दुकान पर चाय बेचते थे।
तो वहीं नायडू के पिता किसान थे और काफी साधारण माहौल में उनकी परवरिश हुई। मौजूदा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तीनों संघ के आंगन में पले बढ़े हैं। नरेंद्र मोदी ने 17 साल की उम्र में 1967 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ली।
संघ प्रचारक के रूप में काम करने के दौरान पार्टी हाईकमान में उनकी पकड़ बनी और 2001 में उन्हें गुजरात का सीएम बनाया गया। 2013 में मोदी ने दिल्ली की सियासत का रुख किया और 2014 में बंपर जीत के साथ पूर्ण बहुमत की बीजेपी सरकार बनी।
आज देश के अधिकांश राज्यों में बीजेपी की सरकार है और मोदी बीजेपी की जीत का दूसरा नाम बन चुके हैं। इसी तरह रामनाथ कोविंद भी संघ की पृष्ठभूमि से आए। 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद रामनाथ कोविंद तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव बने।
इसके बाद वे भाजपा नेतृत्व के संपर्क में आए और संघ से जुड़ गए। साल 1993 और 1999 दो बार राज्यसभा भी रहे। दलित तबकों के लिए लगातार काम किया और बीजेपी के दलित मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे। आज वे देश के राष्ट्रपति हैं। वेंकैया नायडू की जिंदगी भी कुछ ऐसे ही गुजरी है।
नायडू युवा काल से ही संघ से जुड़ गए थे और वे बचपन में संघ कार्यालय में ही सोते थे। जमीनी स्तर से काम करते हुए नायडू ने इस सर्वोच्च पद तक अपनी जगह बनाई है।
इन तीनों नेताओं में एक और समानता है। तीनों ने बिना किसी सियासी गॉडफादर के पार्टी और राजनीति में अपनी जगह बनाई। संघ के सबसे प्राथमिक सदस्य के रूप में जुड़कर सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते हुए तीनों नेताओं ने ये ऊंचाई हासिल की है। आज ये तीनों जो कुछ भी हैं वो उनकी मेहनत और मशक्कत का नतीजा है।