भारत का पहला भूकंप रोधी महल दरभंगा में, 8 रिएक्टर स्केल के झटके सहने की क्षमता

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 हिंदुस्तान का पहला भूकंप रोधी महल बनाने के पीछे का इतिहास शायद कुछ ही लोगों को पता नहीं होगा. जी हां आप सही सुन रहे हैं भारत का पहला भूकंप रोधी मकान दरभंगा में ही बना था. इसको दरभंगा राज परिवार के 17वें महाराजा छत्र सिंह के द्वारा 1807 ईस्वी में निर्माण करवाया गया था. इसमें कई ऐसे ही खासियत है जो आपको हैरान कर देगी. यह महल उस समय में 8 रिएक्टर स्केल के झटके को आसानी से सह सकता था. इसके साथ ही महल में राष्ट्रपति भवन से कम आवाज गूंजती है.

1807 ईस्वी में निर्माण करवाया गया था

दरअसल, जिस नरगोना पैलेस को लोग भारत का पहला भूकंप रोधी महल कहते हैं, उस जगह पर नरगोना पैलेस से पहले छात्र निवास हुआ करता था. जो कि दरभंगा राज परिवार के 17वें महाराजा छत्र सिंह के द्वारा 1807 ईस्वी में निर्माण करवाया गया था. इसकी मजबूती भी कई महलों से बेहतर हुआ करती थी. यह छत्र निवास एक लंबे समय के बाद 1934 के विनाशकारी भूकंप में क्षतिग्रस्त हो गया. जिसके बाद वाइट हाउस कहे जाने वाले नरगोना पैलेस का निर्माण दरभंगा महाराज के द्वारा करवाया गया.

पहली बार कंक्रीट का प्रयोग इसी महल में


कहने को तो यह दरभंगा महाराज की सबसे आखरी हवेली है लेकिन यह हिंदुस्तान को बहुत कुछ पहली बार दिखाया है. हालांकि इस महल का नाम नरगोना पैलेस है लेकिन लोग इसे वाइटहाउस भी कहते हैं. दरभंगा महाराज के द्वारा बनाए गए उस जमाने में इस महल को काफी ही अत्याधुनिक बनवाया गया था. जानकार बताते हैं कि देश में पहली बार कंक्रीट का प्रयोग इसी महल में किया गया था. जानकार बताते हैं कि इस महल में राष्ट्रपति भवन से भी कम आवाजों की गूंज होती है.

यह महल बिल्कुल तितलीनुमा है

राज परिवार के जानकार संतोष कुमार बताते हैं कि यह छात्र निवास पहले हुआ करता था. दरभंगा राज परिवार के 17वें महाराजा छत्र सिंह के द्वारा 1807 ईस्वी में इस छत्र निवास का निर्माण करवाया गया था. उसके बाद 1934 ईस्वी में जो विनाशकारी भूकंप आया था, उस भूकंप में यह महल क्षतिग्रस्त हो गया. उसके बाद महाराज ने मजबूत महल के लिए कंक्रीट और लोहे से निर्मित महल का डिजाइन करवाया जो कि बिल्कुल तितली नुमा था.

उसके बाद इस महल का निर्माण शुरू करवाया गया. इस महल का कार्यारंभ 1934 ईस्वी में हुआ. इसको बनाने में लगभग 7 से 8 वर्ष लग गए इस 22 कमरों के महल को बनाने में ना के बराबर ईटों का उपयोग किया गया है. यह महल 8 रिएक्टर स्केल तक के भूकंप के झटका को सह सकता है. 1934 के बाद कई बार भूकंप आ चुका है. इस क्षेत्र में लेकिन इस महल का बाल भी बांका नहीं हो सका.

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