आपने कई मंदिरों के बारे में सुना होगा. सभी मंदिर की कुछ अलग-अलग ही मान्यताएं हैं, तो वहीं पूर्णिया मरंगा के मिल्की स्थित यह मंदिर अपने आप में खास है. ऐसे में स्थानीय लोग कहते हैं कि यह माता काली का आपरूपी काली मंदिर है. यहां पर आने वालों की निश्चित ही मनोकामना पूर्ण होती हैं. जिस कारण नेपाल से भी यहां लोग आते हैं
जानकारी देते हुए स्थानीय मंदिर के पुजारी आशु सरदार एवं स्थानीय लोग कार्तिक दास एवं तपन दास सहित अन्य कई लोगों ने कहा कि यह मंदिर वर्षों पुराना है. इस मंदिर की मान्यता बहुत खास है. लोगों ने कहा कि इस मंदिर को बनाने वाले भक्त थे, उनको मां इसी जगह इस पेड़ के नीचे सपने में आकर उन्हें इस पुराने पेड़ के नीचे मंदिर बनाने को कहा. साथ ही सपना दिया और जगह मांगी.
इनके सपने में आई थी मां काल
मां काली के अनन्य भक्त अब इस दुनिया में नहीं हैं. उनके द्वारा ही इस आप रूपी मां काली मंदिर की पूजा अर्चना शुरू कराई गई. यह लगभग पिछले कई वर्ष पुरानी बात है. स्थानीय लोगों ने कहा कि यह मंदिर काफी प्राचीन है. इस मंदिर में मां काली की पूजा अर्चना करने दूर-दूर से लोग आते हैं. हालांकि इस मंदिर में बलि प्रथा का भी रिवाज है. स्थानीय जमींदार कार्तिक दास के द्वारा मंदिर के लिए जमीन दान दी गई और तब से यह मंदिर इस पेड़ के नीचे बनाया गया.
वहीं मौजूद मंदिर के पुजारी एवं अन्य कई लोगों ने कहा कि इस मंदिर से कई ऐसे गांव के लोग हैं, जिन्होंने अपनी मनोकामना इस पेड़ के नीचे आकर बैठकर मां काली से कही और मां काली ने उसे एक माह के भीतर ही उसकी हर मनोकामना पूर्ण कर दिया. ऐसे लोग अभी भी उस गांव में हैं. जिस कारण इस मंदिर की भव्यता और आस्था और भी बढ़ती जा रही है. वहीं यह मंदिर मरंगा के वार्ड नंबर 9 स्थित बंगाली टोला जाने वाली सड़क पर है.