इस दिवाली अगर आपको अलग लूक चाहिए तो आप यहां आ जाएं. जहां पर एक से एक डिजाइन की साड़ी बेहद कम कीमत पर मिलेगी. इसके लिए आपको दरभंगा के खादी मेला में आना होगा. यहां पर आपको भागलपुरी सिल्क नहीं नवादा में तैयार सिल्क की साड़ी मिलेगी. वह भी बेहद कम कीमत पर. मेला में नवादा से आए चंदन कुमार बताते हैं कि यहां की कारीगरी पूरे भारत में नामी है. इस मेले में 1500 से लेकर 4500 रुपये तक की साड़ियां उपलब्ध है. यहां की साड़ी भारत के कई राज्यों में जाती है. इसका डिजाइन बेहद खास होता है.
चंदन कुमार ने बताया कि सिल्क की साड़ी और भागलपुर साड़ी दोनों बनती है. खुद का मैन्युफैक्चरिंग है. उद्योग भी है. हर साड़ी की अलग-अलग रेंज है. इसमें बहुत बारिक काम किया हुआ है. यह साड़ी थोड़ी महंगी दामों पर बिकती. इसकी रेंज 4500 रुपये है. यहां 1500 से सिल्क की साड़ी का दाम यहां स्टार्ट है. मेरे यहां बनने वाली साड़ी की मार्केटिंग दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, पटना, मुजफ्फरपुर के बड़े-बड़े व्यापारियों के यहां होती है. जहां होलसेल रेट पर हम उन्हें यह साड़ी उपलब्ध कराते हैं. यहां से मालखरीद कर ले जाने के बाद तीन गुना दाम पर वह अपना बिजनेस करते हैं.
नवादा के हर घर में तैयार होता है सिल्
बिहार के नवादा जिले में एक ऐसा गांव है, जहां हर घर में सिल्क के कपड़े तैयार किए जाते हैं. जहां से पूरे देश में व्यापार किया जाता है. इन दिनों इस गांव के युवा सिल्क के कुछ कपड़े और साड़ी लेकर दरभंगा में अपना स्टॉल लगाए हुए हैं. जहां ग्राहकों की भीड़ हमेशा लगी रहती है. नवादा से 5 किलोमीटर अंदर काजीगंज गांव का जहां हर घर में सिल्क की कारीगरी की जाती है. यहां बड़े-बड़े बिजनेसमैन और उद्योग विभाग के अधिकारी भी पहुंचते हैं. आज इस गांव की कारीगरी पूरे देश में बिक रही है. नवादा से दरभंगा आकर अपना स्टॉल लगाए चंदन कुमार बताते हैं कि गांव में 250 घरों में सिल्क का काम किया जाता है. सिल्क की साड़ी वफैब्रिक का आइटम बनता है. नवादा से 5 किलोमीटर अंदर काजीगंज गांव है, वहां गांव में बड़े-बड़े लोग आते हैं. उद्योग विभाग से भी आते रहते हैं. दरभंगा में हम लेकर आए हैं