बिहार पुलिस के प्रशिक्षण केंद्र भारी अव्यवस्थाओं और गड़बड़ियों का सामना कर रहे हैं। पुलिस प्रशिक्षण केंद्र जवानों को ट्रेनिंग देने के लिए होते हैं, लेकिन यहां तो जवानों के अभ्यास के लिए बंदूक ही गायब है।प्रशिक्षण केंद्रों में न सिर्फ बंदूकों की कमी है, बल्कि प्रशिक्षण के जरूरी मूलभूत सुविधाओं का भी घोर अभाव है। बिना बंदूक और मूलभूत सुविधाओं के इन प्रशिक्षण केंद्रों पर कैसी ट्रेनिंग दी जाती होगी, यह एक बड़ा सवाल है।
पिछले दिनों एडीजी (प्रशिक्षण) ने प्रशिक्षण केंद्र की जांच की, तो प्रशिक्षण केंद्र के अधिकारियों का भंडाभोड़ हो गया। एडीजी (प्रशिक्षण) की जांच में बंदूक और हथियारों की कमी बात तो उजागर हो गई।
जांच में ही यह भी पता चला कि केंद्र में जवानों का शोषण हो रहा है। उनके साथ दमनात्मक व्यवहार किया जाता है। भोजन के नाम पर अत्यधिक राशि वसूली जा रही है।
जांच रिपोर्ट के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं
अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) ने नाथनगर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र की अनियमितता का भी भंडाफोड़ किया था। जांच के दौरान कई गड़बड़ियों को उठाते हुए नाथनगर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र के प्राचार्य के विरुद्ध वरीय अधिकारियों से कार्रवाई की अनुशंसा की थी।
10 दिन बीत जाने के बाद भी एडीजी की जांच रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। एडीजी ने बिहार सैन्य पुलिस प्रशिक्षण केंद्र डुमरांव की रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट 28 अगस्त को जारी की गई है।
इस रिपोर्ट में भी उन्होंने कई तरह की गड़बड़ियों की ओर समादेष्टा सह प्राचार्य रमाशंकर राय और वीणा कुमारी (समादेष्टा) का ध्यान आकृष्ट कराया है और सुधार करने का निर्देश दिया है।
एडीजी अनिल किशोर यादव की जांच रिपोर्ट पर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र नाथनगर के प्राचार्य मिथिलेश कुमार, बिहार सैन्य पुलिस प्रशिक्षण केंद्र, (डुमरांव) के समादेष्टा सह प्राचार्य रमाशंकर राय (आइपीएस), समादेष्टा वीणा कुमारी (आइपीएस) के विरुद्ध प्रशासनिक स्तर से कार्रवाई होती है या नहीं होती है। यह देखने वाली बात होगी।
वहीं, इस मामले में पुलिस महानिरीक्षक (बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बल) राजेश कुमार से जब पूछा गया तो उन्होंने अनभिज्ञता जताई। इससे प्रशिक्षुओं में भारी आक्रोश है।
खाने के नाम पर भी वसूली
एडीजी ने अपने पत्र में कहा है कि जवानों से भोजन के नाम पर अधिक वसूली की जा रही है। जवानों के लिए भोजन के लिए बाहरी एजेंसियों की नियुक्ति कैसे कर ली गई इसका कोई प्रमाण आपके अधिकारियों ने उपलब्ध नहीं कराया।
उदाहरण दिया है कि एम्स पटना में पढ़ने वाले मेडिकल के छात्रों से भोजन के एवज में प्रति माह 4050 रुपये प्रति छात्र वसूला जाता है, जबकि पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में जवानों से प्रति माह 5700 रुपये वसूले गए हैं।
एडीजी ने निर्देश दिया कि जवानों से जो अधिक राशि वसूली गई है उसे वापस कराया जाए अन्यथा भोजन तैयार करने वाली एजेंसियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराएं।
खराब भोजन से जवान पड़ रहे बीमार
खराब गुणवत्ता वाले भोजन और व्याप्त गंदगी के कारण ट्रेनिंग ले रहे जवान बीमार होते जा रहे हैं। 23 अगस्त को जब उन्होंने अनुमंडलीय अस्पताल में जाकर देखा तो वहां पांच प्रशिक्षु इलाज के लिए भर्ती थे। प्रशिक्षुओं का स्वास्थ्य खराब ना हो इसके लिए बैरक एवं मेस तथा आस-पास के स्थलों की सफाई जरूरी है।
एडीजी ने आगे लिखा है कि प्रशिक्षक मनोज कुमार यादव, विष्णुकांत शर्मा और गमला प्रसाद द्वारा जवानों के साथ अपशब्द का इस्तेमाल किया जाता है। इनके आचरण में तत्काल सुधार की जरूरत है।