मंजिल क्या है… रास्ता क्या है… हौसला हो तो फासला क्या है? ये अक्सर आपने सुना होगा. ये लाइन चरितार्थ करती हैं भागलपुर के रहने वाली पिंकी बनर्जी को. दरअसल, पिंकी पेशे से एक लेक्चरर है. लेकिन अब वो लेक्चरर के साथ साथ बिहार की दूसरी महिला ऑर्बिटर ( शतरंज खेल के मुख्य भूमिका निभाने वाले रेफरी) बन गई. विश्व शतरंज महासंघ द्वारा जारी सूची में यह घोषणा की गई. इसमें पिंकी बनर्जी को फिडे ऑर्बिटर बनाया गया. पिंकी फिडे ऑर्बिटर बनने वाली बिहार की दूसरी महिला रही.
2018 में नेशनल ऑर्बिटर की उपाधि प्राप्त की
पिंकी भागलपुर जिला शतरंज संघ की उपाध्यक्ष भी हैं. बनर्जी ने 2018 में नेशनल ऑर्बिटर की उपाधि प्राप्त की थी. इस बीच इन्होंने कई राज्यस्तरीय शतरंज प्रतियोगिताओं में मुख्य ऑर्बिटर की भूमिका निभाई. साथ ही कोरोना काल में हुए ऑनलाइन राष्ट्रीय एवं अंर्तराष्ट्रीय शतरंज प्रतियोगिताओं में सक्रिय भूमिका निभाई थी.
बेटे को देख चेस सीखी और बन गई फिडे ऑर्बिटर

दरअसल, पिंकी अपने बेटे को लेकर चेस प्रतियोगिता में हर एक जगह जाती रही. इसी दौरान उन्हें चीज से लगाव हुआ और धीरे-धीरे इसमें उसकी चाहत बढ़ती चली गई. उन्हें ऐसा लगा कि अब मुझे इसमें कुछ करना चाहिए. जिसके बाद फिडे ऑर्बिटर की उपाधि को पाने के लिए होने वाली परीक्षा में शामिल हुई. उसने वह परीक्षा भी पास कर ली.
अब वह विश्वस्तरीय होने वाले किसी भी प्रतियोगिता में ऑर्बिटर के पद पर कार्यरत हो सकती हैं. इनके फिडे ऑर्बिटर बनने पर अखिल बिहार शतरंज संघ के अध्यक्ष दिलजीत खन्ना , सचिव धर्मेंद्र कुमार तथा भागलपुर जिला शतरंज संघ के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार सिंह, सचिन, अजय कुमार मिश्रा, समेत संघ के सभी पदाधिकारियों, खिलाड़ियों ने इन्हें बधाई भी दी.