रग्बी इंडिया कैंप के लिए खिलाड़ियों का चयन हो चुका है. भारत से 26 खिलाड़ियों में से बिहार से मात्र 5 खिलाड़ी ही चयनित हुए हैं. उसमें से सीमांचल से मात्र एक खिलाड़ी है राकेश मुर्मू. राकेश के पिता मजदूर हैं. ऐसे में जब लोकल 18 की टीम राकेश के घर पहुंची तो परिवार ने बड़ी बेबाकी से खुशी बांटी. हालांकि, पिता का कहना था कि ‘पैसा कमाएगा बेटा, तभी समझेंगे कि वह नेशनल खिलाड़ी है’.
आदिवासी समुदाय के राकेश मुर्मू के माता-पिता भावुक होकर अपने बेटे की कामयाबी पर गर्व कर रहे हैं. पिता किशन मुर्मू ने बताया कि गरीबी और आर्थिक हालात को झेलते हुए भी बेटे को उसकी मंजिल तक पहुंचाने की पूरी कोशिश की है. लेकिन उन्हें तब और खुशी होगी, जब उनका बेटा पैसे कमाकर लाएगा. तभी उनको पक्का विश्वास होगा कि उनका बेटा नेशनल खिलाड़ी बन गया है.
राकेश मुर्मू का शुरू से ही फुटबॉल के प्रति ज्यादा लगाव रहा, जिस कारण उन्होंने अपने कोच शुभम आनंद और अपने परिवार वालों के सहयोग से रग्बी फुटबॉल चैंपियनशिप में जीत हासिल की. अब बिहार के पांचवें और आदिवासी समुदाय से वह रग्बी के इकलौते खिलाड़ी होंगे जो चाइना में अपनी प्रतिभा दिखाएंगे.
माता ने कही ये बात
राकेश की मां शांति ने कहा कि उन्हें अपने बेटे की इस कामयाबी पर खुशी है, लेकिन उनकी गरीबी और आर्थिक हालात ने उन्हें झकझोर कर रख दिया है. कहती हैं कि अभी भी उन्हें अपने बेटे की इस कामयाबी पर पूरी तरह विश्वास नहीं हो रहा है. हालांकि जब उनके बेटे परिवार के लिए पैसे कमाएंगे, तब उनके माता-पिता को उनकी कामयाबी पर और ज्यादा खुशी होगी.
जिला रग्बी सचिव व कोच ने दिया भरोसा
वहीं, रग्बी फुटबॉल के जिला सचिव एवं कोच शुभम आनंद ने कहा कि उन्हें जब भी रग्बी टीम के कप्तान राकेश मुर्मू अपनी समस्याएं बताते हैं तो हर हाल में उनकी समस्याओं का समाधान वह करते हैं. उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचाने में पूरा साथ देते हैं. उन्हें सिर्फ इंडिया कैंप के आयोजन को खेलने के बाद सितंबर और अक्टूबर महीने से वह चाइना जैसे देशों में अपनी प्रतिभा दिखाएंगे. यह हम सभी के लिए अच्छी बात है.