बारूद के ढेर पर भागलपुर! 11 महीने में 4 धमाके, साजिश या संयोग?

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भागलपुर में गुरुवार को काजवलीचक के इलाके में अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए भीषण धमाके में 14 लोगों की मौत हो गई, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर से साफ कर

दिया है कि भागलपुर शहर बारूद के ढेर पर बैठा है.

दरअसल, 3 मार्च 2022 को भागलपुर के एक मकान में चल रहे अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुआ धमाका और 14 लोगों की मौत शहर के लिए इस तरीके की कोई पहली घटना नहीं है. भागलपुर में पिछले 3 महीनों की ही बात कर लें तो शहर के कई इलाकों में जबरदस्त विस्फोट हुआ है और लोग की जान भी

गई है.

दिसंबर महीने में ही भागलपुर में 3 बड़े धमाके हुए

9 दिसंबर को शहर के नाथ नगर रेलवे स्टेशन के पास एक कूड़ेदान में बम धमाका हुआ, जिसमें एक 40 साल के व्यक्ति की मौत हो गई.

– 11 दिसंबर को शहर के मोमिन

न टोला इलाके में बम विस्फोट हुआ जिसमें 2 स्कूली बच्चे घायल हो गए.

– 14 दिसंबर को घटी जब नाथनगर में ही एक टिफिन बम विस्फोट हुआ जिसमें एक सात साल की मासूम की जान चली गई.

-15 दिसंबर को भागलपुर के जगदीशपुर थाना क्षेत्र के सैदपुर गांव में खेत में दो जिंदा बम मिले थे जिसको समय रहते पुलिस ने बरामद कर लिया था और फिर

निष्क्रिय किया.

पिछले साल 15 मई को भी शहर के विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र अंतर्गत एक मकान में जबरदस्त बम धमाका हुआ था जिसमें आधा दर्जन से भी ज्यादा घरो के शीशे टूट गए थे.

पिछले 11 महीनों की बात करें तो सिल्क सिटी के नाम से मशहूर इस शहर में धमाकों की धमक देखी जा रही है. कई घटना में लोगों की जान चलीगई है तो कई लोग घायल भी हुए हैं.

सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या भागलपुर शहर बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है और शहर के अंदर जो लगातार धमाके हो रहे हैं वह महज संयोग है या फिर कोई सोची-समझी बड़ी साजिश? गुरुवार को पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाके और 14 लोगों की मौत से सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या जिस पटाखाफैक्ट्री में धमाका हुआ वह केवल एक पटाखा फैक्ट्री था या फिर वहां बारूद का बड़ा खेल खेला जा रहा था ?

हालांकि, भागलपुर के कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा का का मानना है कि पिछले कुछ दिनों में शहर में जो धमाके हुए हैं उसमें साजिश नहीं मगर जिला प्रशासन की लापरवाही साफ तौर पर नजर आती है जो ऐसे धमाकों को रोकने में नाकामयाब रहा है.

आरिफ जावेद, भागलपुर के स्थानीय निवासी भी मानते हैं कि शहर में जो धमाके हो रहे हैं उसमें साजिश तो नहीं है, लेकिन कुछ असामाजिक तत्व इस संवेदनशील शहर के सौहार्दपूर्ण माहौल को बिगाड़ने की कोशिश जरूर कर रहे हैं

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