मैं डेंगू की चपेट में हूं और मेरा इलाज चल रहा है, अब तो आप पूरे शहर में फॉगिंग कराइए। ये दर्द अमरपुर नगर पंचायत की अध्यक्ष रीता साहू की है। वह डेंगू से पीड़ित हैं।
ऐसे में वह नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी को पत्र लिखकर पूरे शहर में फॉगिंग करने की बात कह रही है। ऐसे में शहर के अन्य पार्षदों का भी दर्द सामने आने लगा है।
आब वर्ड पार्षद भी इस समस्या को लेकर मुखर
इसके बावजूद नगर पंचायत प्रशासन की ओर से अब तक फॉगिंग नहीं कराई जा रही है। इससे आम लोगों में आक्रोश पनप रहा है। वहीं, अध्यक्ष के पत्र के बाद वार्ड पार्षद भी मुखर होने लगे हैं।
दरअसल, शहर में एक दर्जन से अधिक डेंगू से ग्रसित हैं। जिसका इलाज भागलपुर एवं अन्य शहरों के निजी अस्पताल में किया जा रहा है। हालांकि डेंगू के संभावित खतरे को देखते हुए रेफरल अस्पताल में छह बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है।
डेंगू मरीज के जांच के लिए रेफरल अस्पताल में कीट भी उपलब्ध है। लेकिन डेंगू मरीज का कीट से जांच में पाजिटिव पाए जाने के बाद मरीज का एलिशा जांच आवश्यक होता है। ताकि डेंगू की पुष्टि हो सके। लेकिन एलिशा जांच रेफरल अस्पताल में उपलब्ध नहीं है।
ऐसे में मरीज भागलपुर या अन्य शहरों में जाकर इलाज कराने को मजबूर हैं। स्वास्थ्य प्रबंधक अमित कुमार पंकज ने बताया कि डेंगू मरीज के लिए अलग से छह बेड का वार्ड बनाया गया है। जिसमें सभी प्रकार की सुविधा से लैस कर दिया गया है।
डेंगू मरीज के लिए जांच के लिए 50 कीट उपलब्ध कराया गया है। जिसमें से 16 कीट से जांच में एक मरीज में डेंगू का लक्षण पाया गया है। अभी भी अस्पताल में 34 कीट उपलब्ध है। डेंगू मरीज का कीट में लक्ष्ण पाये जाने के बाद एलिशा टेस्ट जरूरी है। एलिशा टेस्ट बांका सदर अस्पताल में उपलब्ध है।
डेंगू से मौत बाद भी तरैया नहीं पहुंची स्वास्थ्य टीम
तरैया गांव में शुक्रवार को डेंगू बीमारी से ग्रसित मुकेश कुमार की पत्नी रेणु देवी (35) की इलाज के दौरान जेएलएनएमसीएच मायागंज अस्पताल भागलपुर में मौत हो गई थी। वह कई दिनों से बीमार थी। किडनी बीमारी से भी ग्रसित थी।
घटना के बाद ग्रामीणों में दहशत का माहौल कायम हो गया है। इसके बाद भी अस्पताल प्रशासन द्वारा ब्लीचिंग आदि का छिड़काव नहीं कराया गया। अबतक आपदा विभाग की भी नींद नहीं टूटी है। उक्त गांव और मोहल्ले में फागिंग भी नहीं कराई गई है।
गांव की नालियों में भी गंदगी का अंबार है। जिसमें कई जगहों पर डेंगू मच्छर होने की प्रबल संभावना है। डेंगू बीमारी से एक अस्पतालकर्मी भी पाजिटिव हो गया है। सीएचसी प्रभारी डा अनिल कुमार ने बताया कि ब्लीचिंग का छिड़काव डायरिया बीमारी रोकथाम के लिए किया जाता है।
डेंगू बीमारी रोकथाम के लिए फागिंग किया जाता है। फागिंग आपदा विभाग द्वारा कराई जाती है। डेंगू मरीजों के लिए चार बेड का अलग वार्ड बनाया गया है।
रजौन में हर रोज आठ से दस लोगों की हो रही जांच
राजौन में इन दिनों डेंगू की चपेट में लोग तेजी से आ रहे हैं। हर दिन एक दो मरीज मिल रहे हैं। शनिवार को भी एक मरीज की जांच रिपोर्ट पाजिटिव पाई गई। सबसे अधिक पुनसिया, रजौन बाजार और आसपास के गांव में लोग डेंगू की चपेट में आ रहे हैं।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकों के अनुसार हर रोज ओपीडी में अभी 150 से 180 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। इसमें से ज्यादातर मरीज मौसमी बीमारी सर्दी-खांसी, बुखार से पीड़ित होते हैं। जबकि आठ से दस मरीजों में डेंगू के लक्षण को देखते हुए उन्हें जांच की सलाह दी जाती है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रैपिड एंटीजन किट से जांच की व्यवस्था है। यहां पर जांच में पाजिटिव पाए जाने पर एलिजा टेस्ट के लिए उसे सदर अस्पताल बांका भेजा जाता है। यहां पर वैसे मरीजों का इलाज किया जाता है, जिनका प्लेटलेट्स एक लाख से अधिक हो।
एक लाख से कम प्लेटलेट्स होने पर बेहतर इलाज के लिए बांका रेफर कर दिया जाता है। डेंगू मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल में पांच बेड का स्पेशल वार्ड भी बनाया गया है।
ऐसे करें डेंगू से बचाव
डेंगू से बचाव को लेकर इन बातों का रखे ध्यानप्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी डा. ब्रजेश कुमार ने कहा कि डेंगू से बचाव के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। शरीर को कवर करके रखें, इसके लिए फुल शर्ट पहनें। सोते समय मच्छरदानी जरूर लगाएं। घर के कोनों की सफाई ध्यान से करें।
उन्होंने कहा कि कूलर, गमले आदि में पानी जमा ना होने दें। साथ ही डेंगू का निदान सही समय पर होना काफी महत्वपूर्ण होता है। अगर किसी को तेज बुखार के साथ कंपकंपी, सिर दर्द, कमजोरी और थकावट होती है, तो आपको डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाइयों को सेवन शुरू न करें।