बंजर भूमि में बस एक बार लगा दें इसे, 140 साल तक होती रहेगी लाखों की कमाई

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 परंपरागत खेती से इतर अगर आप बंजर भूमि पर कुछ लगाकर ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो आप बांस को लगाएं. यह आपको लागत का कई गुना ज्यादा मुनाफा देगा. इसको लेकर भारत के पहले टिशु कल्चर लैब भागलपुर के टीएनबी कॉलेज में तैयारी हो रही है. यहां पर कमर्शियल उपयोग के लिए बांस तैयार किया जा रहा है. बहुत बड़े पैमाने पर बांस के प्लांट को तैयार किया जा रहा है. तैयार पौधों को वन विभाग को सौंप दिया जाता है. विभाग से बिहार के अलग-अलग कोने से लोग आकर भी  इसे ले जाते हैं.

अगर आप भी बांस लगाना चाहते हैं यहां संपर्क कर सकते हैं. हाल ही में पूर्णिया, छपरा, सिवान सहित अन्य जगहों पर बांस के पौधे गए हैं. टिशु कल्चर लैब के हेड प्रो.अजय चौधरी ने बताया कि यह भारत का पहला लैब है, जहां पर इतने वृहद पैमाने पर बांस का उत्पादन किया जाता है. लगभग एक बार में 2 लाख पौधों को तैयार किया जाता है. उन्होंने बताया कि बांस की खेती में बहुत अधिक मुनाफा है. अगर एक बार एक बांस को लगाते हैं, तो उसे हम 140 साल तक 4 साल के बाद तैयार बांस को प्रत्येक वर्ष काट सकते हैं.

1 एकड़ से सालाना 5 लाख की आमदनी
एक एकड़ में सालाना करीब 5 लाख रुपए की आमदनी जरूर होगी. सबसे खास बात बांस की खेती हम उन जगहों पर कर सकते हैं. जिन जगहों पर अन्य खेती होने की संभावना नहीं है, बांस उस पूरी तरह से बंजर भूमि  पर भी फलता है. बांस पर्यावरण के साथ-साथ इकोनॉमी भी चेंज कर सकता है.

कटाव को रोकने में मददगार बांस

प्रो. अजय चौधरी ने बताया कि बिहार के कई क्षेत्रों में कटाव की स्थिति उत्पन्न होती है. अगर हम उसे किनारे बांस को लगा दें तो कटाव नहीं होगी. इसकी वजह है कि बांस का रूट सॉइल को काफी पकड़ता है. जिसकी वजह से मिट्टी का कटाव होना मुश्किल होगा. काटाव वाले क्षेत्रों में बांस वरदान साबित होता है.

कम होती है. यह ऑक्सीजन देता है, जिससे हमारे पर्यावरण को काफी लाभ पहुंचता है. उसके साथ ही यह पौधा काफी लचीला भी होता है.

उद्योग को बिहार में मिल सकता है बढ़ावा
बिहार में बांस की खेती से उद्योग को भी काफी बढ़ावा मिलेगा. प्रो.चौधरी ने बताया कि बांस पेपर, फर्नीचर, रोजमर्रा का सामान सहित इथेनॉल बनाने में काफी मददगार साबित होता है. भागलपुर में इथेनॉल प्लांट लग रहा है. अगर यहां पर बांस की खेती को बढ़ावा मिलता है तो इससे भी एथेनॉल तैयार किया जा सकता है.

बांस से बनती है सीएनजी
अजय चौधरी ने बताया कि सबसे अधिक एथेनॉल बांस से तैयार किया जा सकता है. एथेनॉल सबसे अधिक पावरफुल  यह साबित होता है. इसके साथ ही सीएनजी भी बांस से बनाई जाती है. इसलिए अगर बांस की खेती करते हैं तो बिहार का इकोनामिक बदल सकता है.

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