मछली पालन से युवाओं की आमदनी बढ़ा सकती है. लोग नौकरी छोड़कर इस मछली पालन में हाथ आजमा रहे हैं और इसमें सफलता भी पा रहे हैं. गया जिले में एक ऐसे ही मछली पालक हैं जो आईटी सेक्टर के जॉब छोड़ कर घर में मछली पालन की शुरुआत की. इससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है.
जी हां हम बात कर रहे हैं गया शहर के रहने वाले आदित्य गोयनका की. आदित्य गोयनका पुणे से बीटेक करने के बाद इंफोसिस जैसे बड़े कंपनी में 8.5 लाख रुपया के सालाना पैकेज पर कम कर रहे थे. 5 वर्ष तक इन्होंने कई आईटी सेक्टर में काम किया, लेकिन 2018 में वापस अपने घर आ गए और अपने पिताजी के व्यवसाय में हाथ बटाने लगे.
2400 स्क्वायर फीट जमीन पर टैंक कल्चर से की शुरुवात
साल 2020 में कोरोना काल के दौरान इनका व्यवसाय काफी मंदा चल रहा था. तभी उन्होंने इंटरनेट पर मछली पालन के बारे में जानकारी ली. ऑनलाइन 15 दिनों का इसका प्रशिक्षण लिया. शहर के कुजापी में लगभग 2400 स्क्वायर फीट जमीन पर पक्का टैंक बनवा कर टैंक कल्चर के माध्यम से मछली पालन की शुरुआत की. छोटी सी जमीन से इन्हें अच्छी आमदनी होने लगी और सालाना लगभग 6 लाख रुपए की मछली बेच लेते हैं जिसमें इन्हें 1 लाख 80 हजार रुपए की बचत हो जाती है. मछली पालन के अलावा इनका मछली दाना बनाने का उद्योग है, जिससे इन्हें अच्छी खासी आमदनी हो जाती है.
सालाना लगभग 6 लाख रुपये की मछली होती है बिक्री
टैंक कल्चर से मछली पालन के लिए इन्होंने 2400 वर्ग फिट जमीन पर लगभग 6 फीट ऊंचाई का टैंक बनवाया जिसे दो हिस्से में बांटकर जासर मछली का पालन कर रहे हैं. दोनों टैंक से लगभग 5 टन मछली का उत्पादन लगभग 8 महीने में कर लेते हैं. गया के लोकल मार्केट में ही इन मछलियों की बिक्री हो जाती है और 120 रुपये किलो थोक भाव में इसकी बिक्री की जाती है. सालाना लगभग 6 लाख रुपये की मछली बेच देते हैं जिसमें 1 लाख 80 हजार रुपए की बचत हो जाती है.
जानिए इनकी सफलता का राज
लोकल 18 से बात करते हुए आदित्य गोयनका बताते हैं कि टैंक कल्चर से मछली पालन में तालाब कल्चर की तुलना में लगभग एक महीना समय अधिक लगता है. 1 साल में टैंक कल्चर के माध्यम से एक बार ही मछली का पालन किया जा सकता है. लगभग 8 से 9 महीने का समय लगता है. इन्होंने बताया कि टैंक कल्चर में सिर्फ जासर और मांगुर मछली का पालन किया जा सकता है. गया जिले का क्लाइमेट ठंड के मौसम में मछली पालन के लिए उपयुक्त नहीं है, क्योंकि ठंड के मौसम में टैंक का पानी अधिक ठंडा हो जाता है जिस कारण मछलियों को नुकसान पहुंच सकता है.