बख्तियार खिलजी ने हमारे नालंदा विश्वविद्यालय को जलाया, और हमने उसके नाम पर एक शहर का नाम रख दिया..

इतिहास

मुग़ल शाशकों के भारीतय उपमहाद्वीप पर आक्रमण से पहले समाज के विभिन्न गुटों के बीच पूर्ण शांति और सामंजस्य मौजूद थे। कोई धार्मिक भेद नहीं था। लेकिन मुग़ल शासकों ने आक्रमण कर न केवल यहाँ के लोगों पर शाहन किया, बल्कि सबकुछ तहश-नहस कर दिया। और बदले में हमने अपने स्मारकों और शहरों का नाम आक्रमणकारियों के नाम पर रख उन्हे सम्मानित कर गए। उन्ही राज्यों और स्मारकों, जिसे उन्होंने नष्ट कर दिया था और उनको काट दिया था।

बिहार में बख्तियारपुर एक ऐसा स्थान है जिसे बख्तियार खिलजी के नाम पर रखा गया है, जो तुर्की साम्राज्य राजवंश शासक कुतुबुद्दीन ऐबक के अधीन काम करता था और उसने नालंदा को तोड़ दिया था, जो उस दौरान दुनिया का पहला विश्वविद्यालय था जहाँ चीन, इंडोनेशिया और जापान सहित विभिन्न देशों से छात्र पढ़ने आते थे।

तुर्की शासक बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय में आग लगवा दी थी। कहा जाता है कि विश्व विद्यालय में इतनी पुस्तकें थी की पूरे तीन महीने तक यहां के पुस्तकालय में आग धधकती रही।

उसने अनेक धर्माचार्य और बौद्ध भिक्षु मार डाले। खिलजी ने उत्तर भारत में बौद्धों द्वारा शासित कुछ क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया था।

इतिहासकार विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्व विद्यालय को जलाने के पीछे जो वजह बताते हैं उसके अनुसार एक समय बख्तियार खिलजी बहुत ज्यादा बीमार पड़ गया। उसके हकीमों ने इसका काफी उपचार किया पर कोई फायदा नहीं हुआ।

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