बाहुबली नेता की रिहाई के लिए नीतीश सरकार ने बदले नियम, IAS कृष्णैया मर्डर केस में दोषी हैं आनंद मोहन

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पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई का रास्‍ता अब साफ हो गया है। उनके जेल से परमानेंट बाहर आने की सबसे बड़ी रुकावट को बिहार सरकार की तरफ से खत्म कर दिया गया है। नीतीश सरकार के एक नोटिफिकेशन से ऐसा ही लगता है, यानी कि जेल के नियम बदल दिए गए हैं।

गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया हत्याकांड में आनंद मोहन सजायाफ्ता हैं। फिलहाल, आनंद मोहन सहरसा की जेल में बंद हैं, लेकिन अब नए नियम के मुताबिक, उनकी जेल से रिहाई जल्‍द हो सकती है।

बिहार के गृह विभाग (कारा) की ओर से 10 अप्रैल को एक नोटिफिकेशन जारी किया गया था, जिसमें बिहार कारा हस्तक, 2012 के नियम-481(i) (क) में संशोधन करके उस वाक्यांश को हटा दिया गया है, जिसमें सरकारी सेवक की हत्या को शामिल किया गया था।

काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या को विलोपित किया

अधिसूचना में कहा गया कि ‘कारा अधिनियम, 1894 ( अधिनियम 9, 1894) की धारा 59 एवं दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) की धारा 432 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए बिहार के राज्यपाल बिहार कारा हस्तक, 2012 में अधिसूचना निर्गत होने की तिथि से निम्नलिखित संशोधन करते है:-

बिहार कारा हस्तक 2012 के नियम – 481 (i) (क) का संशोधन:- बिहार कारा हस्तक 2012 नियम- 481 (i) (क) में वर्णित वाक्यांश ”या काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या” को विलोपित किया जाएगा।’ इस अधिसूचना पर बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव के दस्तखत है और यह सभी जरूरी विभागों समेत सभी जिलाधिकारियों को भेजी गई है।

अब सरकारी अधिकारी की हत्‍या अपवाद की श्रेणी में नहीं

इस संशोधन के बाद अब ड्यूटी पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या अपवाद की श्रेणी में नहीं गिनी जाएगी, बल्कि यह एक साधारण हत्या मानी जाएगी। इस संशोधन के बाद आनंद मोहन के परिहार की प्रक्रिया अब आसान हो जाएगी, क्योंकि सरकारी अफसर की हत्या के मामले में ही आनंद मोहन को सजा हुई थी।

आनंद की रिहाई में क्‍या बाधा थी?

बिहार की रिमिशन (परिहार) की पॉलिसी-1984 में साल 2002 में दो बड़े बदलाव किए गए थे। उस बदलाव के तहत 5 कैटेगरी के कैदी को नहीं छोड़ने का प्रावधान शामिल किया गया था। ये ऐसे कैदी होते हैं, जो एक से अधिक मर्डर, डकैती, बलात्कार, आतंकवादी साजिश रचने और सरकारी अधिकारी की हत्या के दोषी होंगे। उनके छोड़ने का निर्णय सरकार लेगी।

हत्‍या के मामले में 2007 में हुई थी सजा

आनंद मोहन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्‍या के मामले में सजा काट रहे हैं। वे इस मामले में 14 साल की सजा काट चुके हैं, लेकिन सरकार के इस प्रावधान की वजह से उनकी रिहाई नहीं हो पा रही थी। ऐसे में नए संशोधन के बाद अब इस कैटेगरी को ही समाप्त कर दिया गया। इसके कारण आनंद मोहन की रिहाई में जो अवरोध था, वह पूरी तरह समाप्त हो गया।

5 दिसंबर, 1994 को गोपालगंज के जिलाधिकारी जी कृष्णैया को भीड़ ने पहले पीटा और फिर गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में आरोप लगा था कि इस भीड़ को आनंद मोहन ने ही उकसाया था। साल 2007 में इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया था और फांसी की सजा सुनाई थी।

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