बाघ अब खाने के लिए नहीं भटकेंगे, गौर व चीतल की वीटीआर में बढ़ी संख्या

जानकारी

बिहार के इकलौते टाइगर रिजर्व में अब बाघों को भोजन के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। कई बार बाघ भोजन की तलाश में रिहायशी इलाके में पहुंच जाते हैं। ऐसे में बाघ कई बार लोगों को हानि पहुंचा चुके हैं। बाघ रिहायशी इलाकों में नहीं पहुंचे इसको लेकर वीटीआर प्रशासन व विशेषज्ञों की टीम मास्टर प्लान तैयार कर रही है।

वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक हेमंकात राय ने बताया कि बाघों का सबसे पंसदीदा भोजन गौर (जंगली भैंसा) और चीतल है। वीटीआर में ग्रास लैंड बढ़ने से गौर व चीतल की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वीटीआर में फिलहाल एक हजार से अधिक गौर व तीन से चार हजार तक चीतल हो गए हैं। मास्टर प्लान के तहत इन्हें पकड़कर बाघों के अधिवास क्षेत्र में छोड़ दिया जाएगा। इससे बाघ उनका शिकार कर सकेंगे। उन्हें आसानी से भोजन मिल जाएगा। ऐसा होने पर बाघ भोजन की तलाश में अधिवास क्षेत्र से बाहर नहीं निकलेंगे। ऐसे में जंगल के आसपास रहने वाले लोगों को नुकसान नहीं पहुंचा सकेगा।

 

गौर व चीतल से बाघ को मिलेगा सप्ताहभर का भोजन

गौर का वजन डेढ़ हजार किलोग्राम तक होता है। इसका शिकार करना बाघों को पसंद है। इसी तरह चीतल का भी वजन ठीक-ठाक होता है। दोनों के नर्म-मुलायम मांस बाघों को बेहद पसंद आते हैं। दोनों शाकाहारी पशु तेज दौड़ते हैं। बाघ को शिकार करना पसंद है। ऐसे में यदि दोनों जानवरों को बाघों के अधिवास क्षेत्र में छोड़ दिया जाय तो शिकार किया हुआ भोजन एक साथ मिल सकेगा। एक गौर का शिकार कर बाघ सप्ताहभर तक भोजन कर सकता है।

रात के अंधेरे मे शिकार करना पंसद करता है बाघ

वीटीआर सूत्रों के अनुसार बाघ को रात के अंधेरे में अधिक दिखाई देता है। वह अंधेरे में शिकार को आसानी से पकड़ लेता है। इसके उलट शाकाहारी जानवर रात में आराम करना पसंद करते हैं। इससे बाघ को दोहरा लाभ मिल जाता है। बाघ एक रात में 27 किलो तक भोजन कर सकता है।

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