इस बार रक्षाबंधन को लेकर मार्केट में इको फ्रेंडली रखियां खूब डिमांड में हैं. ऐसे में बिहार समेत दूसरे राज्यों में खास तौर पर इको फ्रेंडली रखियां बनाई जा रही हैं. रक्षाबंधन के मौके पर बिहार के पूर्णियां में मणिपुरी बांस से लेकर गाय के गोबर की इको फ्रेंडली राखियां बन रही है. यह आकर्षक राखियां दिल्ली राजस्थान से लेकर कई शहरों में जा रही है.
पूर्णिया में बांस की राखी बनाने वाले सत्यम सुंदरम व रक्षिता झा ने कहा कि वे लोग पहली बार बांस की राखियां बना रहे हैं. इसका काफी डिमांड भी हो रहा है. इस राखी को बनाकर वे लोग आकर्षक तरीके से रंग रोगन कर सजा रहे हैं.
रक्षिता ने कहा कि यह इको फ्रेंडली राखी है .इससे किसी तरह का साइड इफेक्ट नहीं होता है. बाजारों में प्लास्टिक की राखियां बिकती है. उसके बजाय इस प्राकृतिक बांस से बने इको फ्रेंडली राखी की डिमांड काफी हो रही है.
रानी गुप्ता के अनुसार इस बार उनलोगों ने लगभग 6000 राखियां बनाई है. जो दिल्ली और अन्य शहरों में गई है
सत्यम सुंदरम ने कहा कि उसने एमबीए करने के बाद जाब किया था. लेकिन जाब छोड़कर उसने मणिपुरी बंबू से करीब एकाशी तरह के समान बना रहे हैं. इसके लिए पीएमईजीपी से लोन लेकर उसने स्टार्टअप शुरू किया और आज उनका कारोबार अच्छा खासा चल रहा है .
इस बार रक्षाबंधन को लेकर मार्केट में इको फ्रेंडली रखियां खूब डिमांड में हैं. ऐसे में बिहार समेत दूसरे राज्यों में खास तौर पर इको फ्रेंडली रखियां बनाई जा रही हैं.
रक्षाबंधन के मौके पर बिहार के पूर्णियां में मणिपुरी बांस से लेकर गाय के गोबर की इको फ्रेंडली राखियां बन रही है. यह आकर्षक राखियां दिल्ली राजस्थान से लेकर कई शहरों में जा रही है.