भाई-बहन के अटूट प्रेम के त्योहार रक्षाबंधन पर करियर व नौकरी के प्रति समर्पण भाव हावी है। विज्ञानी भाई चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के बाद श्री हरिकोटा स्थित इसरो मुख्यालय में व्यस्त हैं।
बहन रायपुर एनआइटी में बी. टेक की पढ़ाई कर रही है, उसका लक्ष्य भाई जैसा बनना है। बहन ने भाई को डाक से राखी भेज दी है।
बहन को सोमवार को राखी मिलने की खबर भी मिल गई है। दोनों भाई व बहन खुश हैं, संतुष्ट हैं। इस रक्षाबंधन एक-दूसरे से मिल नहीं पाने का कोई मलाल नहीं है।
विज्ञानी सुधांशु कुमार ने क्या बताया?
यह कहानी गया के डेल्हा खरखुरा निवासी भाई-बहन सुधांशु कुमार और सुष्मिता कुमारी की है। इसरो विज्ञानी सुधांशु कुमार ने फोन पर बताया कि कर्तव्य के प्रति समर्पण किसी भी त्योहार से उपर है।
भाई-बहनों के अलग-अलग रहने से भी प्रेम में कोई कमी नहीं आती है। 2021 के रक्षाबंधन में दोनों भाई-बहन एक साथ गया में थे, अभी अपनी-अपनी व्यस्तता के कारण दोनों अलग-अलग हैं।
हमें पिता के भरोसे पर कायम रहना है : सुधांशु
सुधांशु ने कहा कि पिता आटा मिल चलाते हैं, बड़ी उम्मीद से उन्हें और बहन को उच्च शिक्षा दिलाई है। हमें उनके भरोसे पर कायम रहना है।
पिता महेंद्र प्रसाद व मां बिंदु देवी ने बताया कि छुट्टी के ढाई माह गुजार कुछ ही दिन पहले सुष्मिता कॉलेज गई है। बेटा चंद्रयान की निगरानी में व्यस्त है। दोनों फिर कभी रक्षा बंधन साथ मना लेंगे।