दरभंगा राज परिवार के द्वारा बनाया गया यह मंदिर आज देख-रेख के अभाव में खंडहर में तब्दील हो गया है . यह मंदिर अपने आप में एक अद्भुत और विशालकाय है. लेकिन समुचित देखरेख नहीं होने की वजह से अपनी सुंदरता को खो चुकी. जरूरत है इसे संरक्षित रखने का ताकि आने वाले पीढ़ी को क्या दिखाया जा सके. 19वीं सदी में भी दरभंगा कितना प्रगतिशील हुआ करता था. लेकिन अब तक इस और किसी का ध्यान आकृष्ट नहीं हुआ है. जिस वजह से दरभंगा महाराज के द्वारा दी गई इस विरासत स्वरूप मंदिर को अब लोग धीरे-धीरे भूल जाएंगे .
राज परिवार के द्वारा बनाया गया यह मंदिर देखकर भाव विभोर हो जाएंगे. किस प्रकार से दरभंगा महाराज ने कितनी सुंदरता के साथ इस मंदिर का निर्माण करवाया था. आज वह मंदिर धारासाही होने पर है. तस्वीरों में साफ तौर पर आप देख सकते हैं की ईंट अब धूल बनकर जमीन पर गिरने लगा है, लेकिन इस और ऐसे किसी व्यक्ति की नजर नहीं गई है, जो इसे संरक्षित कर सके.इस मंदिर के ऊपर बने गुंबज क्षतिग्रस्त हो गए हैं. जानकार के मुताबिक अगर हम बात करें तो अयोध्या में सदियों पुरानी निर्मित राम मंदिर का ढांचा और गुंबज था, उसी के नक्शे पर इस मंदिर का निर्माण दरभंगा महाराज के द्वारा करवाया गया था. जिसे तस्वीरों में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि किस प्रकार गुंबज के ऊपर लगे वस्तुएं क्षतिग्रस्त हो गई है. कुछ तो टूट गए और कुछ टूटने के कगार पर है.
इस मंदिर के गर्भ गृह के बाहर एक अच्छी खासी जगह थी. बताया जाता है की आरती के वक्त यहां लोगों की भीड़ को देखते हुए इसे बनाया गया था. जिसकी क्षमता 100 लोगों की है आज भी है. यहां के फर्श चमकीले और छिछलेदार है. इस मंदिर के चारों तरफ का वातावरण बिल्कुल ही शांत है. मंदिर के ठीक सामने एक तालाब भी है जो इस मन्दिर की सुंदरता को और बढ़ा देता है.
दरभंगा महाराज के द्वारा नरगोना परिसर के अंदर एक विशालकाय मंदिर का निर्माण करवाया गया था. जिसमें रामलाल की मूर्ति मां जानकी के साथ स्थापित की गई थी . इस मंदिर की खासियत यह है कि यह मंदिर अयोध्या के राम मंदिर से मिलता-जुलता है. साथ में गर्भ गृह में रामलला के गुरु के साथ हनुमान लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न सभी के प्रतिमाएं मौजूद है. वहीं गर्भ गृह के बाहर एक और शिव पार्वती तो दूसरी और राधा कृष्ण की प्रतिमा स्थापित है.