अवध में राम तो मिथिला में मां जानकी… धनतेरस को यहां देखें अयोध्या जैसा दीपोत्सव

आस्था जानकारी

जैसे अवध के कण-कण में श्रीराम विराजते हैं. ठीक वैसे ही मिथिला के कण-कण में माता जानकी विराजती हैं. जानकी को मिथिलावासी बेटी तो वहीं, श्रीराम को दामाद के रूप में पूजते हैं और अयोध्या में प्रभु श्रीराम का दर्शन करना चाहते हैं. खासतौर से दीपावली में तो अमूमन मिथिलावासी अयोध्या की दीपावली को देखना पसंद करते हैं. मान्यता है कि दीपावली में सभी देवी-देवता अपनी-अपनी शक्तियों से पूरे अयोध्या नगरी को रौशनी से भर देते हैं. यही कारण है कि कोई भी व्यक्ति इस अद्भुत दृश्य को देखना मिस नहीं करना चाहता है. ऐसे में अगर आप इस वर्ष अयोध्या नहीं जा पा रहे हैं, तो टेंशन ना लें. धनतेरस की शाम को मधुबनी जिले के पिपराघाट घाट आ जाएं, यहां भी आपको अलौकिक दीपोत्सव का नजारा दिखेगा.

51 हजार दीपों से जगमग होगा घाट
दरअसल, मधुबनी के पिपराघाट को इस इलाके के लोग छोटी गंगा भी मानते हैं. यहां तीन नदियों का संगम है. इस कारण इस घाट का नाम त्रिवेणी संगम पड़ा है. यहां पिछले दो साल से दिवाली पर अयोध्या जैसा माहौल रहता है. जिसे देखने के लिए सिर्फ जिले ही नहीं, बल्कि दूसरे जिले से भी लोग आते हैं. यहां के पुजारी वामन जी का कहना है कि दो साल से दिवाली पर इस त्रिवेणी संगम पर 51 हजार दिए जलाए जाते हैं. धनतेरस के दिन जब एक साथ सभी दीप जल जाते हैं, तो यह दृश्य मनोहारी लगने लगता है.

दीपों से लिखा जाता है माता जानकी
लोगों का तो यह भी मानना है कि यह दृश्य इतना मनोहारी होता है कि अयोध्या जैसा नजारा दिखने लगता है. या जो कोई कभी अयोध्या नहीं गए हैं, उनके लिए यह अयोध्या से कम भी नहीं रहता है. हालांकि, यहां अपको अयोध्या से कुछ अलग भी देखने को मिलेगा. अयोध्या में रामलला छाए रहते हैं. तो वहीं, आपको त्रिवेणी घाट पर माता जानकी के नाम की चर्चा सुनाई देगी. लोगों का मानना है कि जानकी हमारे मिथिलांचल से थी, इस कारण दिए से उनका नाम लिखा जाता है. यह यहां का मुख्य आकर्षण भी रहता है. यही कारण है कि धनतेरस की शाम को इस दृश्य को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग आते हैं.

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