ये कहानी है ऑस्ट्रेलिया के इयान बुल्फोर्ड की। बचपन में इयान अपनी माँ के साथ रहते थे। उनकी मां लोकसंगीत पर शोध के सिलसिले में इयान को साथ केलर मॉरीशस और त्रिनिदाद गयीं थीं।
माँ के शोध के दरमियान इयान ने माँ को हिंदी और भोजपुरी भाषा बोलने वाले लोगों से बातचीत करते देखा-सुना तो हिन्दी भाषा के प्रति उन्हें भी जिज्ञासा पैदा हुई। फिर उन्होंने हिंदी पढ़ने का निश्चय किया और फिर उन्हें हिंदी से प्यार हो गया। हिंदी में M.A. और PH.D. करने के बाद हिन्दी के प्रोफेसर बन गये।
अब जिसे हिंदी भाषा से प्रेम हो जाये वो फणीश्वरनाथ रेणु को पढ़े बिना नही रह सकता। मैला आंचल पढ़ने के बाद फणीश्वर नाथ रेणु से इतने प्रभावित हुए की मैला आँचल के पात्रों, स्थानों और गीतों पर शोध करने का जुनून छा गया।
मैला आंचल में स्थानीय लोककला- विदापत नाच के जिक्र को भी इयान ने अपने रिसर्च में शामिल किया है। कई बार पूर्णिया और औराई हिंगना आये इयान एक बार 10 महीने तक वहां रुके थे।
पिछले 12 साल से बिहार आ रहे इयान वुल्फोर्ड ने बिहार में अपने रिसर्च का दायरा बढ़ा लिया है। वो अब भोजपुरी, मैथिली, वज्जिका और अंगिका भाषा पर भी शोध कर रहे हैं। मैथिली पर शोध के लिए वे कवि कोकिल विद्यापति के गांव विस्फी भी जा चुके हैं। अब बिहार से इतना लगाव हो गया है की ये उनका दूसरा घर बन चूका है।
इयान बुल्फोर्ड फर्राटे के साथ हिन्दी तो बोलते ही हैं, भोजपुरी, मैथिली पर भी अच्छी पकड़ है। अक्सर लोग एक अँगरेज़ को बिहार की बोली बोलते देख कर हैरान हो जाते हैं।